IR & POLITY SOLUTION

IR & POLITY SOLUTION

Geetanjali Academy- By Jagdish Takhar

 

Question – 1 सहकारी संघवाद

Answer – संघवाद सवैधानिक  राज्य सचांलन की उस प्रवृत्ति  का प्रारूप है, जिस के अंतर्गत विभिन्न  राज्य एक संविदा द्वारा एक संघ की स्थापना करते है। भारत  के संविधान को ’अर्द्व सघात्मक’ संविधान का दर्जा दिया गया है। यह सामान्य  परिस्थितियों में Federal व आपातकाल में एकात्मक स्वरूप वाला प्रतीत होता है । Artical – I में भारत  को राज्यों का संघ (Union of States) कहां गया है।

Exam – 1.GST Council की Meeting मे कोई भी संशोधन करने के लिए  केन्द्र व राज्य दोनों को शक्तिया दी गयी है, बल्कि राज्यों को ज्यादा शक्तियाँ है 

 2.NITI आयोग की स्थापना 

3.केन्द्र राज्यों  के मध्य शक्तियों का बंटवार

4.संविधान  संशोधन में राज्यों का समर्थन।

 

Question – 2  प्रेसिडेंशियल रेफरेंस  से क्या तात्पर्य है ?

Answer –  अनु. 143 में  वर्णित राष्ट्रपति  व उच्चतम न्यायालय का परामर्शकारी  सम्बन्ध। यदि किसी समय राष्ट्रपति  को प्रतीत होता है कि विधियाँ तथ्य  का कोई ऐसा प्रश्न उत्पन्न हुआ है या होने की सम्भावना है, जो ऐसी प्रकृति  का और ऐसे व्यापक  महत्व का है कि उस पर  उ .न्या, से राय प्राप्त करना समीचीन  है अर्थात् राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय से किसी पूर्व  संधि , सनद समझौते  या सार्वजनिक महत्व  के विषयों पर परामर्श मांग  सकता है। Exam. अयोध्या बाबरी मजिस्द  वाद

 

Question – 3 बंदी प्रत्यक्षीकरण

Answer –  शाब्दिक अर्थ  है ’’हमारा आदेश है  कि’’ यह एक प्रकार की  रिट है, जिस के द्वारा किसी  गैर कानूनी कारणों से गिरफ्तार व्यक्ति  को रिहाई  मिल सकती है

अनु. 32 सुप्रीम कोर्ट व अनु . 226 हाईकोर्ट द्वारा जारी  , इसमे …………………..

  1. न्यायालय द्वारा यह आदेश जारी किया जाता है कि  हिरासत में लिए  व्यक्ति  को उस के सामने प्रस्तुत  किया जाये 
  2. किसी व्यक्ति  को जबरन, अवैध तरीके से हिरासत  मे नही लिया जा सकता
  3. अगर  हिरासत मे अवैध तरीके से लिया गया है तो उसे स्वतंत्र किया जाये अपवाद  जब यह जारी नहीं की जा सकती

1.हिरासत  कानून सम्मत हो।

2.कार्यवाही किसी विधानसभा या न्यायालय  की अवमानना के तहत हुई हो। 

3.हिरासत  न्यायालय के न्याय क्षेत्र के बाहर  हो।

4.न्यायालय के द्वारा हिरासत।

अनुच्छेद 21 प्राण व दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार प्रांसिगकता हेतु महत्वपूर्ण

 

Question – 4   73 वाँ संविधान संशोधन

Answer –   24 अप्रैल 1993 को भारतीय संविधान के 73 वे संशोधन को मंजूरी जिस में अनुच्छेद 243क  से 243 तक, भाग 9, अनु सूची पचांयती राज के सम्बन्ध में प्रावधान , कुल 29 कार्य निर्धारित  किये गये

विशेषताएंः-

  1. पंचायतों को सवैधानिक दर्जा (लक्ष्यीमल सिंघवी समिति, सिफारिश) इसके तहत ग्राम सभा, पंचायतो के गठन, पंचायतों की संरचना, स्थानों का आरक्षण, पंचायतों की अवधि, सदस्यता के लिए निरर्हताएं, पंचायतों की शक्तियां, प्राधिकार और उत्तरदायित्व, पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्तियाँ और उनकी निधिया, वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित आयोग का गठन , पचायतो के लेखाओ  की सपरीक्षा, पंचायतों के लिए निर्वाचन, विद्यवान विधियो व पंचायत का बना रहना आदि प्रावधान शामिल है। 

 

Question – 5 राष्ट्र—निर्माण से क्या अभिप्राय है?

Answer –   राज्य की शक्ति का उपयोग करते हुए राष्ट्रीय पहचान का निर्माण करना ही राष्ट्र निर्माण (छंजपवदंस इनपसकपदह) है, यह एक सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कुछ समूहों मे राष्ट्रीय चेतना प्रकट होती है। वास्तव में राष्ट्र निर्माण एक ऐसी परिकल्पना है जिसमें राष्ट्र से जुडे हुए पहलू का ध्यान अत्यंत आवश्यक हैं।

दूसरे शब्दों मे हम कह सकते है कि राष्ट्र एक सामाजिक सांस्कृतिक अवधारणा है, जिसमे एक कल्पित समुदाय समान भाषा, धर्म, ऐतिहासिकता, वैचारिकता, से जुडे हुए हो। आधुनिक संदर्भ में राष्ट्र राज्य परिकल्पना जिसमे संप्रभुता, निश्चित भू—भाग व सरकार जनसंख्या सम्मिलित है।

 

Question – 6  भू—राजनीति क्या है?

Answer –   अन्तरराष्ट्रीय राजनीति तथा अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धो पर भूगोल के प्रभावों का अध्ययन भू राजनीति कहलाती है। दूसरे शब्दों में भू राजनीति विदेश नीति के अध्ययन की वह विधि है जो भौगोलिकचरो के माध्यम से  अन्तरराष्ट्रीय राजनैतिक गतिविधियों को समझने, उनकी व्याख्या करने और उनका अनुमान लगाने का कार्य करती है। भौगोलिक चर के अंतर्गत उस क्षेत्र का क्षेत्र फल, जलवायु टोपोग्राफी, जनसांख्यिकी, प्राकृतिक संसाधन तथा  अनुप्रयुक्त विज्ञान आदि आते है। यह शब्द सबसे पहले रूडोल्फ जेलेन ने दिया। 99 में

उद्देश्य — राज्यों में मध्य सम्बन्ध एवं उनकी परस्पर स्थिति के भौगोलिक आयामों के प्रभाव का अध्ययन

 

Question – 7 भारतीय विदेश नीति में गुटरिपेक्षता का क्या अर्थ है?

Answer –   विदेश नीति के अंतर्गत कुछ सिद्वान्त, हित और वे सभी उद्देश्य आते है, जिन्हे किसी दूसरे राष्ट्र के सम्पर्क के समय बढ़ावा दिया जाता है।

भारतीय विदेश नीति के मूल उद्देश्य व सिद्वान्त

  1. राष्ट्रीय हितों का ध्यान
  2. विश्व शांति की प्राप्ति
  3. निःशस्त्रीकरण
  4. अफ्रीकी-एशियाई देशों की स्वतंत्रता
  5. राष्ट्रों को आत्मनिर्भरता का अधिकार
  6. पारंपरिक सौहार्द
  7. विवादों का शांतिपूर्ण हल

इन्हे प्राप्ति का महत्वपूर्ण भाग है गुटनिरपेक्षता:- गुटनिरपेक्षता न तो उदासीनता है, न ही तटस्थता, न ही स्वयं को पृथक रखना है, अपितु बिना किसी दवाब के गुण दोष के आधार पर स्वतंत्र राय रखना है, 1961 बैलग्रेड सम्मेलन (नेहरू-नासिर-टीटो) अर्थात् शीतयुद्व दौर में दो महाशक्तियों (USSR & USA) किसी गुट में शामिल न होकर, दोनो से सक्रिय साझेदारी द्वारा स्वयं एवं औपनिवेशिक देशों का विकास करना। अर्थात् यह किसी भी पॉवर ब्लॉक के संग या विरोध की बात नही करता है।

 

Question – 8 सुरक्षा-परिषद में वीटो

Answer –  संयुक्त राष्ट्र परिषद के स्थायी सदस्यों को Permanent Five, Big Five और P5 के नाम से जाना जाता है, इसके पांच स्थायी सदस्य है अमेरिका, इंग्लैड, रूस, फ्रांस, चीन है और 10 अस्थायी सदस्य है (कुल 15) 

वीटो का अर्थ होता है ’मैं निषेध करता हूँ।’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों को एक विशेषाधिकार मिला हुआ है। जिसके तहत स्थायी सदस्य देश परिषद में प्रस्तावित किसी भी प्रस्ताव को रोक सकते है या उसे नकार सकते है, भले ही उसके पक्ष में कितने भी वोट पडे़ हो। SC में किसी प्रस्ताव को पारित करने के लिए सभी स्थायी सदस्यों का वोट और 4 अस्थाई सदस्यों का वोट मिलना जरूरी होता है।

जैसे- शीतयुद्व दौर में USSR द्वारा वीटो कर भारत को विश्व से अलग-थलग करने से बचाव।

 

Question – 9 मोतियों की माला रणनीति

Answer –  मोतियों की माला रणनीति, चीन द्वारा भारत को भू-राजनीतिक एवं सामरिक दृष्टि से घेरना है जिसमे चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर से लेकर

मलक्का सन्धि, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर तक (यानि पूरे हिन्द महासागर में) सामरिक ठिकाने (बन्दरगाह, हवाईपट्टी, निगरानी तंत्र इत्यादि) तैयार

करना है। स्ट्रिंग ऑफ प्लर्स का उल्लेख 2005 ’एशिया मे ऊर्जा का भविष्य’ नाम की एक खुफिया रिर्पोट में हुआ। इसमें पाकिस्तान में ग्वादर और कराची में

मिलिट्री बेस, श्रीलंका मे कोलम्बों नया पोर्ट हम्बनटोटा मे आर्मी फैसिलिटी, मालदीव के माले बन्दरगाह व बांग्लादेश के चटगांव मे कटेनर सुविधा बेस, म्यांमार

के यांगून व सिटवे बन्दरगाह पर मिलिट्री बेस।

 

Question – 10 न्यायिक पुनरावलोकन क्या है?

Answer –  संयुक्त राज्य अमेरिका की अवधारणा, सन् 1803 अमेरिका मुख्य न्यायाधीश मार्शन द्वारा मार्वरी बनाम मेडिसन नामक प्रसिद्ध वाद में प्रथम बार प्रस्थापना की गयी।

विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अधीन न्यायालय की शक्ति, जिसमे वह व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित नियम, कार्यपालिकीय आदेश, प्रशासनिक कार्यवाही को संवैधानिक उपबन्धो के विरूद्ध पाए जाने पर अवैध, अमान्य व शून्य घोषित कर सकता है। न्यायिक पुनरीक्षण। न्यायिक पुनर्विलोकन।न्यायिक पुनरावलोकन कहाँ जाता है।

न्या. पु. का हमारे सविंधान में स्पष्ट उल्लेख नहीं परन्तु इसका आधार है अनु 13 (2), अनु. 32, अनु,. 226, अनु. 131, अनु. 243 और न्यायाधीशों द्वारा संविधान के संरक्षण की शपथ।

 

Question – 11 ब्रिक्स

Answer – .ब्रिक मूल रूप से चार देशों का संगठन था – ब्राजील, रूस, भारत व चीन, लेकिन 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने से यह ब्रिक्स बन गया, जिसका मुख्य उद्देश्य हैं-

  • सम्बन्धित देशों का आर्थिक विकास
  • नवाचार को बढ़ाना।
  • परस्पर सहयोग कर इस क्षेत्र में शांति स्थापित करना।
  • समावेशी विकास।
  • वैश्विक आतकवाद व पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों पर कार्य
  • अन्तरराष्ट्रीय वित व्यवस्था में सुधार

ब्रिक शब्द दिया अमेरिकी वितीय कम्पनी गोल्डमैन शशं के चैयरमेन जिम ओ नील ने, (2001) में स्थापना व प्रथम शिखर सम्मेलन 16 जून, 2009 रूस के येकान्टिनबर्ग मे चौथा शिखर सम्मेलन 2012 नई दिल्ली, 8 वां 2016 गोवा, 10 वां 2018 जाहोन्सबर्ग(दक्षिण अफ्रीका में सम्पन्न) वित व्यवस्था सुधार हेतु फार्टालेजा (ब्राजील में) 6 वे सम्मेलन में 2014 में, 100 अरब डॉलर से न्यू डेवलमेन्ट बैंक (एनडीबी) ब्रिक्स बैंक की स्थापना, मुख्यालय शंघाई, चीन

 

Question – 12 मैग्नाकाटां

Answer –  अन्य नाम The Great Charter Of Freedoms

स्वतंत्रता का महान घोषणा पत्र। अधिकार पत्र, 1215 इंग्लैड में जारी, अर्थात् यह इंग्लैड का एक कानूनी परिपत्र है जो सबसे पहले 1215 में राजा जॉन द्वारा जारी किया गया तथा अपने सामन्तो (Nobles and borans) को कुछ अधिकार दिये गये और वचन दिया कि राजा की इच्छा कानून की सीमा में बंधी रहेगी। मैग्नाकार्टा ने राजा द्वारा प्रजा के कुछ अधिकारों की रक्षा की स्पष्ट रूप से पुष्टि की जिसमें से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका उल्लेखनीय है।

घोषणापत्र जो उस क्षेत्र में मील का पत्थर साबित

  •  भारतीय संविधान का मैग्नाकाटा – मौलिक अधिकारों को
  • ईस्ट इडिया कम्पनी का मैग्नाकाटा – 1717 दस्तक के अधिकार को  
  • शिक्षा का मैग्नाकाटा- 1854 चार्ल्स वुडडिस्पेच को
  • दिसम्बर 1948, मानवधिकारों का मैग्नाकार्टा

 

Question – 13 नीति आयोग ?

Answer –  राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान, 1 जनवरी 2015 को अस्तित्व मे आया, योजना आयोग के स्थान पर स्थापित, कार्यपालिका संकल्प छप्ज्प् आयोग द्वारा गठित, गैर संवैधानिक निकाय, सहकारी संघवाद पर आधारित। यह संस्थान सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएं प्रदान करेगा और उसे निर्देशात्मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करेगा।

उद्देश्य राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टि गत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेगा। अध्यक्ष PM /उपाध्यक्ष (राजीव कुमार)/CEO – अमिताभ कान्त/ 3 पूर्ण कालिक सदस्य/ 4 पदेन सदस्य/ क्षेत्रीय परिषद/ शासकीय परिषद/ बोटम टू टोप पर बल (3वर्षीय, 7 वर्षीय, 15 वर्षीय प्लानिंग)

 

Question – 14 नागरिकता से क्या तात्पर्य है?

Answer –  नागरिकता का उल्लेख सविंधान के भाग 2 में अनु. 5 से अनु. 11 तक है, किसी राष्ट्र के निवासियों को संविधान से प्राप्त कानूनी अधिकार जो उस राष्ट्र के निवासी के रूप में घोषित करते है।

भारतीय नागरिकता के कुछ विशेष लक्षण 1. इकहरी नागरिकता 2. नागरिकता संघीय विषय 3. नागरिकता अनुशोधन अधिनियम 1986 संविधान लागू होने के समय नागरिकता की व्यवस्था 1. जन्म जात नागरिक 2. शरणार्थी नागरिक 3. विदेशों में रहने वाले भारतीय संविधान लागू होने के बाद नागरिकता की व्यवस्था, भारतीय नागरिकता अधि. – 1955 नागरिकता की प्राप्ति 1. जन्म से 2. रक्त सम्बन्धों या वैशाधिकार से 3. पंजीकरण द्वारा 4. देशी करण द्वारा 5. भूमि विस्तार द्वारा अर्थात् नागरिकता एक विशेष सामाजिक, राजनैतिक, राष्ट्रीय या मानव संसाधन समुदाय का एक नागरिक होने की अवस्था है। सामाजिक अनुबंध के सिद्वान्त के तहत नागरिकता की अवस्था में अधिकार व उत्तरदायित्व होना शामिल होते है।

 

Question – 15 वैश्विक आतंकवाद क्या है?

Answer –  आतंकवाद का वैश्विक रूप जो अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर व्याप्त होकर अनेक देशो को प्रभावित करता है। अर्थात् वैश्विक स्तर की वह हिंसात्मक गतिविधि जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रति पूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात् नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते है।

आतंकवाद के मुख्य मापदडों में हिंसा, मनोवैज्ञानिक प्रभाव, भय, एक राजनीतिक लक्ष्य के लिए आदि। 

यथा आईएस आईएस द्वारा प्रायोजित

इस हेतु 1996 में UN में आतकवांद विरोधी प्रस्ताव।

 

Question – 16 भारतीय विदेश नीति के निर्धारक तत्व बताइये?

Answer –  विदेश नीति वैदेशिक सम्बन्धो का सारभूत तत्व है अर्थात् विदेश नीति उन सिद्वान्तों का समूह है जो एक राष्ट्र, दूसरे राष्ट्र के साथ अपने सम्बन्धों के अन्तर्गत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने के लिए अपनाता है।

भारतीय विदेश नीति के निर्धारित तत्व

  1. भौगोलिक अवस्थिति – तीन तरफ हिन्द महासागर, हिमालय, जनसंख्या
  2.  विचारधारा
  3. कूटनीतिक सम्बन्ध
  4. आदर्श – ब्रुध, अशोक, गांधी
  5. सांस्कृतिक परिदृश्य – वासुधैव कुटुम्बकम्भ्म
  6. आर्थिक स्थिति
  7. राजनीतिक संगठन – संसदीय, संघात्मक प्रणाली
  8. सैन्य शक्ति – विश्व की तीसरी बड़ी सेना
  9. सामाजिक बचाव – विविधता में एकता 
  10. इतिहास – औपनिवेशक शासन
  11. गुटनिरपेक्षता
  12. ऐतिहासिक परम्पराएं
  13. राष्ट्रीय हित
  14. साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद का विरोध
  15. नस्लवादी भेदभाव का विरोध
  16. पंचशील
  17. विश्व शान्ति के लिए समर्थन
  18. निःशस्त्रीकरण का समर्थन
  19. परमाणु नीति
  20. सार्क से सहयोग 
  21. वैश्विक संगठनों में हिस्सेदारी
  22. वेदेशिक सम्बन्ध
  23. पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्ध आदि।

 

Question – 17 संयुक्त राष्ट्र संघ में अपेक्षित सुधार

Answer –  स्थापना 24 अक्टूबर 1945, संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र के माध्यम से एक अन्तरराष्ट्रीय संगठन, उद्देश्य – अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों को सुविधा जनक

बनाने हेतु सहयोग प्रदान करना, अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक एवं सामाजिक विकास तथा मानवाधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ विश्व शांति के लिए कार्य

करना।

सुधार (क) UNO में संरचनात्मक बदलाव

  1. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या में वृद्धि हेतु G-4 (भारत, ब्राजील, जर्मनी, जापान) का गठन।
  2. अफ्रीकी देशों द्वारा मांग – अफ्रीका महाद्वीप से 2 स्थायी व 2 अस्थायी सदस्य अनिवार्य
  3. कॉफी अन्नास फ़ॉर्मूला – 24 सदस्य देश
  4. अर्द्वस्थायी सदस्यों का प्रस्ताव अर्थात् अस्थायी सदस्यों की संख्या में वृद्धि हेतु प्रस्ताव।
  5. UN संस्था का लोकतांत्रिकरण
  6. वीटो पावर को सीमित किया जाए
  7. यूरोपीय राष्ट्रों का प्रभुत्व कम हो
  8. विकासशील देशों की भागीदारी में वृद्धि हो
  9. UN की संस्थाओं के निर्णयों को बाध्यकारी बनाया जाये

(ख) न्यायदिश क्षेत्र निर्धारण बदलाव

  1. UNO का न्यायदिश क्षेत्राधिकार, शान्ति, विकास, मानवीय सम्बन्धो तक सीमित या विस्तार का मुद्दा सम्मिलित हैं।

 

Question – 18 अनुच्छेद-21 न्यायिक सक्रियता के संदर्भ में महत्वपूर्ण अधिकार है। कैसे?

Answer –  सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1978 में मेनका गांधी बनाम भारत सरकार के वाद में अनु. 21 की सुक्ष्म व्याख्या प्रस्तुत कर इसे न्यायिक सक्रियता के

संदर्भ में महत्वपूर्ण अधिकार साबित कर दिया।

  1. अनु. 21 प्राण व दैहिक स्वतंत्रता के अंतर्गत नागरिकों के सर्वागीण विकास पर ध्यान केन्द्रित
  2. निजता का अधिकार, स्वच्छ पर्यावरण व पेयजल का अधिकार सम्मिलित किया
  3. विदेश भ्रमण का अधिकार, स्वच्छ वायु व जल का अधिकार
  4. जनहितकारी विवादों को मान्यता
  5. राजनीतिक क्षेत्र मे न्यायिक सक्रियता
  6. प्राण व दैहिक स्वतंत्रता मे जीविकोपार्जन का अधिकार भी शामिल
  7. चिकित्सा सहायता और स्वास्थ्य अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता मिली
  8. धारा 497A को रद्द करना (एडल्ट्री कानून)-आधार कार्ड को सभी राज्यों में अनिवार्य बनाकर केवल पैन कार्ड व सरकारी योजनाओं के लाभ मे अनिवार्य बनाना।
  9. धारा 377 को गैर कानूनी घोषित करना
  10. हाइवे पर शराबबन्दी, भागलपुर (बिहार) के कैदियो की दशा में सुधार (शयराबानों केस) उपयुक्त विवरणों से हम कह सकते है कि न्यायिक सक्रियता से अनु. 21 का अत्यधिक विस्तार हुआ है।

 

Question – 19 भारत-चीन संबंधों में तनाव के मुद्दे बताइये?

Answer –  1. सीमा विवाद- अक्साईचीन, सियाचिन ग्लेशियर, अरूणाचलप्रदेश।

  1. तिब्बत की स्वायत्तता, भारत द्वारा प्रदान, दलाई लामा विवाद
  2. ब्रह्मपुत्र नदी पर बाँध निर्माण विवाद
  3. दक्षिणी चीन सागर पर चीन की आक्रामकता से भारत प्रभावित
  4. OBOR पर भारत द्वारा समर्थन न देना (Belt and Road Initiative)
  5. रीजनल आर्थिक सहयोग सगंठन का भारत द्वारा सदस्य न बनना।
  6. चीन की मोतियों की माला नीति (स्ट्रीग ऑफ पर्ल्स)
  7. चीन द्वारा की जा रही डम्पिंग
  8. ओएनजीसी द्वारा वियतनाम में तेल अत्खनन का चीन द्वारा विरोध
  9. CPEC (China-Pakistan Economic Corridor)
  10. United Nationals Securtity Concil में भारत के खिलाफ चीन का वीटो
  11. डोकलाम विवाद (चिकिननेक)
  12. व्यापार सन्तुलन में चीन को लाभ
  13. भारत के प्रोजेक्ट मौसम (हिन्द महासागर के 39देशों के साथ सांस्कृतिक सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए) चीन से विवाद
  14. Numismatic Guaranty Corporation का भारत को सदस्य बनने से रोकना।

 

Question –  20 समान नागरिक संहिता से क्या अभिप्राय है। इसके संबंध में विवादों का परीक्षण कीजिए?

Answer –  भारतीय संविधान के भाग 4 में अनु. 44 नीति निर्देशक तत्वों के अनुसार एक समान नागरिक सहिता होनी चाहिए जिसका अभिप्राय क़ानूनों के ऐसे

समूह से है जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे व किसी धर्म या क्षेत्र से सम्बन्धित हो) पर लागू होता है। यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी क़ानूनों से ऊपर होते है।

समान नागरिकता कानून के अंतर्गत

(1) व्यक्तिगत स्तर

(2) सम्पति के अधिग्रहण और संचालन का अधिकार

(3) विवाह, तलाक और गोद लेना आदि शामिल है।

विवाद

(1) मुस्लिम बहुविवाह नियम, तीन तलाक प्रथा (ट्रिपल तलाक), हलाला करना

(2) हिन्दू में रिज एक्ट, 1955 पर विवाद, हिन्दुउत्तराधिकारी नियम 1956

(3) विवाह पश्चात् महिलाओं के सम्पत्ति मे उत्तराधिकारी सम्बन्धि विवाद

 

Question – 21 मूल अधिकार और निदेशक तत्व के मध्य संबंधों का परीक्षण न्यायिक व्याख्या एवं संशोधन के संदर्भ में कीजिए?

Answer –  मूल अधिकार भाग-3 Art 12.35 में वर्णित, DPSP भाग-4 Art. 36.51 में वर्णित मूल अधिकार, न्यायालय में वाद योग्य व DPSP वाद योग्य

नहीं।

1971 में 25 वें संशोधन द्वारा जोडे़ गए अनुच्छेद 31 सी (ग) में प्रावधान है कि अनुच्छेद 39 (B)-(C) में निदेशक सिद्धांतों को प्रभावी बनाने के लिए बनाया

गया कोई भी कानून इस आधार पर अवैध नहीं होगा कि वे अनु. 14,19 और 31 द्वारा प्रदत मूल अधिकारों से अवमूल्यित है अतः जहां 31 (ग) आता है वहां अनु 39 लागू, 14 व 19 का प्रतिषेध अन्य-1951 में शंकरी प्रसाद बनाम सरकार में मूल अधिकारों को नीति निदेशक तत्वों पर मान्यता प्रदान की थी। 1967 के सज्जन सिंह बनाम सरकार में भी इसकी पुष्टि।

24 वां व 38 वे संशोधन द्वारा इनको नकारा गया। केशवानन्द भारती, वामनराव, इंदिरा अध्े राजनारायण इत्यादि के केसों मे सर्वोच्च्य न्यायालय ने एक

दूसरे के पूरक मानते हुए मूल अधिकारों को ही मान्यता प्रदान की ।

संशोधन के संदर्भ मेंः-

  1. 44वे संविधान संशोधन द्वारा सम्पति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाना।
  2. 42 वें संशोधन द्वारा DPSP में अनु.39(क), 43(A), 48(क) प्रवेशित
  3. अनु. 45 मे वर्णित नीति निदेशक तत्व को 86 वे संशोधन के द्वारा अनु. 21(क) मे मूल अधिकारों की श्रेणी में डालना।

 

Question – 22. कॉलेजियम बनाम राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के विवाद का उल्लेख कीजिए?

Answer –  कॉलेजियम प्रणाली-न्यायपालिका मे जजों को चुनने के लिए बनाई गई जजों की एक समिति, जो जजों के चुनाव के लिए सुझाव देती है।

महत्वपूर्ण 3 जजेज केस

प्रथम-न्यायाधीश मामले में अनुच्छेद 124 के तहत सहमति को मात्र औपचारिक सहमति माना गया परन्तु द्वितीय न्यायाधीश मामले मे सहमति अनिवार्य (न्यायाधीश नियुक्ति के संदर्भ में) कर कॉलेजियम व्यवस्था की स्थापना (1CJI + 2 अन्य) तृतीय मामले में बहुसख्यंक सहमति 1$4 अनिवार्य की गई। केन्द्र सरकार द्वारा 99 वे संविधान संशोधन द्वारा नियुक्ति हेतु राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (CJI + 2 न्यायाधीश + 2 विधि विशेषज्ञ + कानूनमन्त्री) गठन जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया। अब न्यायाधीश नियुक्ति हेतु कॉलेजियम के तहत ’मेमोरडम ऑफ प्रोसीजर’ का प्रयोग किया जा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने NJAC को न्यायिक समीक्षा की शक्ति द्वारा असवैधांनिक घोषित करके समाप्त कर दिया, जिससे सरकार व न्याय पालिका के मध्य विवाद

जिसके तर्क

  1. न्यायधीशों की नियुक्ति में सरकारी हस्तक्षेप वांछनीय नहीं।
  2. स्वतंत्र न्यायपालिका संविधान का मूल ढाँचा , अतः इसमें हस्तक्षेप नहीं।

 

Question – 23. दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन में भारत की भूमिका का परीक्षण कीजिये?

Answer –  दक्षिण एशिया में हिन्द महासागर में चीन (मुक्ता माला/स्प्रिंग ऑफ पर्ल्स) अमेरिका (डियागो गार्सिया) की उपस्थिति, चीन की दक्षिण चीन सागर

तक पहुंच, शक्ति को असंतुलित करती है ऐसे में भारत की भूमिका-

  1. 2015 मालाबार नौसेनिक अभ्यास (भारत-जापान-अमेरिका) (हैड-इन-हैड)
  2. बीजिंग द्वारा किये जा रहे वित्तीय निवेश को नियंत्रित करना
  3. 2014 में भारत की नेबरहुड फ़र्स्ट अर्थात् ’पहले पड़ोसी’ नामक योजना शुरू जिसमें भारत ने इस क्षेत्र के अन्य देशों के साथ अपनी भागीदारी बढ़ाना शुरू किया
  1. 2017 प्रथम ऑस्टेलिया-भारत सामूहिक अभ्यास (AUSTNDEX)
  2. UK व भारत का सयुंक्त Statement of intent (तीसरे देशों मे सहयोग की भागीदारी दक्षिण एशिया में विकास के लिए आवश्यक सहायता-निधि को केन्द्र मे रखकर)
  3. भारत द्वारा एशियाई विकास बैंक के दक्षिण उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (SASEC) आपॅरेशन प्रोग्राम में भाग लिया जाना।
  4. BIMSTEC, IORARC (Indian Ocean Rim Association for Regional Co-operation) को महत्ता
  5. अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग समझौता व Shanghai Co-operation Organisation, BRICS के माध्यम से चीन के साथ सहयोग।
  6. भारत का प्रोजेक्ट मौसम, सागरमाला परियोजना
  7. SAARC के स्थान पर बिक्सटेक को पुल बनाना।
  1. एक्ट ईस्ट पॉलिसी के माध्यम से ASEAN देशों से सहयोग वृद्धि
  2. भारत की ’’एल्डर ब्रदर’’ के रूप में भूमिका न कि ’बिग ब्रदर’ के रूप मे
  3. भारत द्वारा अफग़ानिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार आदि देशों मे विकास परियोजनाओं का संचालन करके इनका विकास करके क्षेत्र में शक्ति संतुलन स्थापित करना।

 

Question – 24. सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता के पक्ष में तर्क दीजिए?

Answer – 

  1. भारत सुरक्षा परिषद का 7 बार अस्थायी सदस्य रह चुका हैं।
  2. UN के शांति अभियानों कांगो, सोमालिया, नाइजीरिया आदि में भारत की भूमिका
  3. भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का संस्थापक तथा उपनिवेशवाद व रंगभेद के विरोध में भारत के प्रयासों से ही प्रस्ताव पारित
  4. अत्यधिक आबादी वाला देश, 10 साल के भीतर दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या देश बन सकता है।
  5. भारत दुनिया मे दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भी है।
  6. भारत की पहचान एक जिम्मेदार लोकतंत्र के रूप में होना
  7. भारत को हमेशा ही एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप मे माना जाता रहा है।
  8. देश की विशालता।
  9. शक्ति प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र के कार्यो में उसका योगदान और अन्य सभी क्षेत्रों में भी उसकी सुदृढ़ स्थिति और इन सभी के साथ उसके पक्ष में एक

बात यह भी है कि संयुक्त राष्ट्र की आमसभा मे भी पर्याप्त देशों के वोट उसे मिल सकते है।

  1. 1954 में निः शस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत की भूमिका (PPP)
  2. लोकतांत्रिक देश, 6वी बड़ी अर्थव्यवस्था, (GDP के आधार पर) द्वितीय स्थान पर जनसंख्या, क्रय शक्ति के आधार पर तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था
  3. गुट निरपेक्ष राष्ट्रों का समर्थक
  4. सतीश नाम्बियार (ले. जनरल), वित्तमंत्री विजय लक्ष्मी पंडित, वाजपेयी जी, दलबीर भडारी (न्यायाधीश) आदि के प्रयास
  5. वासुधैव कुटुम्बकम की नीति का परिपालन
  6. विश्व की प्रमुख निर्यात नियत्रंण व्यवस्थाओं (NICR, AC वासेनार) कारनदस्य (सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम आस्टेलिया समूह)

 

Question – 25. शीत युद्धोत्तर विश्व में आर्थिक सांस्कृतिक संबंध अधिक महत्त्वपूर्ण हो गये हैं- टिप्पणी दीजिए?

Answer –  शीतयुद्धोतर विश्व 1991 के बाद उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण के युग में आर्थिक सम्बन्धों में वृद्धि फलस्वरूप

  1. आर्थिक सगंठनो G-20, SAARC का निर्माण।
  2. वैश्विक आर्थिक आत्मनिर्भरता में वृद्धि।
  3. आर्थिक हितों के आधार पर ही नीतियाँ निर्माण।
  4. International North-South Transport Carridor, OBOR (One Belt ONe Road) पिवोट एशिया पॉलिसी (अमेरिका), सेंट्रल एशिया

पॉलिसी-ऊर्जा (भारत)

  1. भारत से चीन की कटुप्रतिद्वन्द्वीता के बावजूद भी व्यापार मे बड़ा भागीदार है। आदि

वहीं सांस्कृतिक सम्बन्धों में यथा

  1. भारत में गुजरात सिद्धांत
  2. बौद्ध संस्कृति के माध्यम से ASEAN देशों से जुड़ाव
  3. गंगा-सहयोग सगंठन
  4. प्रोजेक्ट मौसम
  5. एक्ट ईस्ट पॉलिसी
  6. अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन
  7. चीन की वन चाईना-पॉलिसी। आदि

हार्वर्ड विश्व विद्यालय के प्रोफेसर जोसफ न्ये द्वारा सोफ्टपॉवर शब्द का इस्तेमाल किया गया जिसके तहत राष्ट्रों के मध्य सैन्य नीति से इतर सांस्कृतिक व

आर्थिक सम्बन्धों को महत्वपूर्ण माना गया है।

 

Question – 26. विगत 7 दशकों में भारतीय राजनीति की गतिशीलता को स्पष्ट कीजिए?

Answer –  15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई तथा भारत में लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ। भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के दौर में कांग्रेस द्वारा राष्ट्रवादी दल के रूप में प्रकुरत भूमिका निभाई गई अतः स्वतऩ्त्रता के पश्चात् देश मे केवल एक ही राजनीतिक दल का प्रमुख काफी समय तक रहा, क्योंकि भारत में कांग्रेस की स्थापना(28 DEC. 1885) व भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के दिनो मे कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका थी और इनके नेतृत्वकर्ताओं को ही राजनीति चलाने का तात्कालिक समय में अनुभव था। अतः स्पष्ट है कि नेहरू जी, राजेन्द्र प्रसाद, जे.पी.कृपलानी, वल्लभ भाई पटेल, सुब्रहमन्यम अय्यर, K.T. तेलंग, सर्वपल्ली राधाकृष्णन आदि के व्यक्तित्व के कारण प्रारंभिक दशकों मे एक दलीय प्रभुत्व का दौर रहा। इस दौर में मूल्यों की राजनीति को महत्व दिया गया। तथा राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़े होने व राष्ट्रीय आन्दोलन की मुख्य शिक्तियों व पुरोधाओं का इस दल से जुड़े होने के कारण जनता की इस दल के प्रति असीम निष्ठा रही।

लेकिन 1974-75 के दौरान हुए आन्दोलन, इंदिरा सरकार द्वारा आपात काल का दौर जैसी स्थिति के कारण देश में सता परिवर्तन हुआ तथा एकछत्र साम्राज्य के पश्चात् बहुदलीय व्यवस्था ने प्रभुत्व स्थापित किया व राष्ट्रीय दल के रूप में जनता दल का उदय तथा अनेक क्षेत्रीय दलों का उद्धव हुआ- भाषागत आधार पर तेलगु देशम, विचारधारा आधारित मार्क्सवादी कम्यूनिष्ट पार्टी, क्षेत्रीय आधार पर असम प्रजा परिषद, धर्माधारित सिक्ख सभा, वर्गाधारित बहुजन समाज पार्टी आदि यह अस्थिरता व अधिनायकत्व का दौर था, जिसमे राज्यों की सरकारों को गिराया जाना, लोकतंत्र के मूल्यों पर चोट, न्यायपालिका से तनातनी, वी.पी.सिंह की सरकार के दौरान OBC आरक्षण, 1992 में राम मन्दिर मुद्दा आदि जाति, धर्म व संप्रदाय जैसे मुद्दों ने राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित किया। जाति का राजनीतिकरण व राजनीति का जाती करण हुआ। 

सन् 1991 आर्थिक सुधारों के आलोक में LPGको अपनाना आदि मुद्दों ने देश की राजनीति को अलग दिशा प्रदान की, तत्पश्चात् गठबंधन सरकारों को दौर चालू हुआ, सन् 1989 में जनता मोर्चा, तत्पश्चात् राष्ट्रीय मोर्चा, राजग, UPA इत्यादि गठबंधन का दौर प्रारम्भ हुआ। 1998 के पश्चात् देश में राजनीतिक स्थायित्व का दौर आया एवं राजनीतिक मुद्दों में परिवर्तन आया तथा बेरोज़गारी, आर्थिक विकास, विदेश नीति, विदेश निवेश, शिक्षा, स्वच्छता आदि मुद्दे प्रमुख होने लगे। वर्तमान देश राजनीतिक गतिशीलता के दौर से गुजर रहा है तथा भूमंडलीकरण के कारण व समाजवाद तथा पूंजीवाद मिश्रण के कारण नए आयाम उभर रहे है। 2014 में भाजपा द्वारा पूर्ण बहुमत हासिल कर एकमत। एक दलीय प्रभुत्व। अधिनायकत्व/अस्थिरता/ गठबंधन सरकारे आदि सभी मिथको को तोड़ा गया। वर्तमान राजनीति मतदान व्यवहार, जनता की आकाक्षाएँ, विदेश नीति, जातिगत विकास को प्रतिबंधित करती है, जो किये जा रहे सुधार (चुनावी बॉड, राजनीतिक अपराधी करण पर VVPAT प्रणाली, NOTA) एक वर्ष पूर्व गठित हल द्वारा दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकार बना लेना भारतीय राजनीति की गतिशीलता का परिचायक ही है।

 

Question – 27. बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य में भारतीय विदेश-नीति की नूतन प्रवृत्तियों का परीक्षण कीजिये?

Answer –  शीतयुद्धोतर वैश्विक व्यवस्था में भारतीय विदेश नीति में भी बदलाव आना स्वाभाविक है भारतीय नीति पंचशील से आये पंचामृत (सवांद, सम्मान, सुरक्षा,संप्रभुता, संस्कृति) पर बल देने लगी है। भारतीय विदेश नीती की नूतन प्रवृतियां निम्न है-

  1. पड़ोसी प्रथम की नीतिः- प्रधानमंत्री द्वारा शपथ ग्रहण समारोह में पड़ोसी राष्ट्रों को बुलाना व उनकी यात्रा करना।
  2. विदेश नीति के केन्द्र में आम आदमी का होनाः- हाल ही कुछ घटनाओं जैसे ट्वीटर, फेसबुक के माध्यम से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज्य द्वारा भारतीय नागरिकों की विदेश में सहायता, कुलभूषण जाधव का मामला ICJ में ले जाना
  3. लुक ईस्ट पॉलिसी के स्थान पर एक्ट ईस्ट पॉलिसी:- इसके अंतर्गत पूर्व के देशों यथा इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनोई, थाईलैंड आदि देशों के साथ सहयोगात्मक सम्बन्ध व ASEAN सम्मेलनों को अधिक महत्व देना शामिल। (आदर्शवादिता के स्थान पर यथार्थवादिता)
  4. SAARC के स्थान पर BIMSTEC को महत्व:- बंगाल की खाड़ी से लगे देशों के साथ आर्थिक, सामरिक व राजनीतिक सम्बन्धों को बढ़ाने पर जोर
  5. अमेरिका से बढ़ती नजदीकिया:- अमेरिका द्वारा चीन को प्रति संतुलित करने हेतु भारत को प्रमुख रक्षा साझीदार, LEMOA, STA-1, COMCASA, CAATSA के प्रावधान 231 मे लचीलापन
  6. चीन व पाक के प्रति आक्रामक नीति:- द. चीन सागर विवाद के दौरान पूर्वी देशों का समर्थन, चीन के साथ डोकलाम विवाद पर आक्रामक नीति, चीन की CPEC में ग्वादर बन्दरगाह विकास के प्रतिक्रिया स्वरूप ईरान में चाबहार बन्दरगाह का विकास पाक के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक, SAARC मे पाक का बहिष्कार आदि।
  7. शिखर सम्मेलन व विदेश दौरा – वर्तमान PM द्वारा अधिक से अधिक दौरे कर वैश्विक जनमत व साख वृद्धि।
  8. इडियन डाइस्पोरा:- भारतीय PM द्वारा हर विदेशी दौरे पर विदेशी भारतीय डाइस्पोरा से सवांद स्थापित कर भारत के विकास में सहयोग माँगना।
  9. बहुपक्षीपता:- इसके तहत, विभिन्न राष्ट्रों के साथ वापस द्विपक्षीय सम्बन्धों का पुन निर्धारण किया जा रहा है। इसे NAM 2.0 भी कहा जा रहा है।
  10. रूस से S – 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली व दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर बल
  11. आदर्शों से परे राष्ट्रीय हितों को प्रमुखता-गुट निरपेक्षता के आदर्श को दरकिनार करते हुए NAM सम्मेलन में भाग न लेकर अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग। (क) मॉरिशस सेसल्स देशों की यात्रा व सहयोग (ख) भारत-अफ्रीकी फोरम (ग) लुकवेस्ट नीति के माध्यम से मध्य एशियाई सहयोग (घ) आसियान राष्ट्रों की ओर अधिक ध्यान
  12. छोटे-छोटे राष्ट्रों के माध्यम से जनाधार विकसित
  13. अन्तरराष्ट्रीय प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास- MTCR, वासेनार व आस्ट्रेलिया समूह की सदस्यता बिना एनपीटी पर साइन करे प्राप्त करना,

निशस्त्रीकरण हेतु नो फ़र्स्ट यूज पॉलिसी।

  1. सामरिक रक्षा, सहयोग पर बल- युद्धाभ्यास-मलाबार, इन्द्र, हैड-इन-हैड, रक्षा समझौते- लेमोओ, कोमकासा (अमेरिका)
  2. आर्थिक रूप से सुदृढ़ता के साथ पर्यावरण विकास-आर्थिक सुदृढ़ता हेतु आरसीईपी की सदस्यता हेतु प्रयासरत पर्यावरणीय विकासार्थ 2015 पेरिस

सम्मेलन पर बल।

  1. राजनीतिक रूप से प्रमुखता-टेक 2 की वार्ता-भारत-अमेरिका
  2. सांस्कृतिक सम्बन्धों पर बल बौद्ध सार्किट का निर्माण प्रोजेक्ट मौसम

 

Question – 28. वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए नई विश्व व्यवस्था की संभावनाओं का उल्लेख कीजिये?

Answer –  वैश्विक परिदृश्य में राष्ट्रों के मध्य आपसी सम्बन्ध व शक्ति सन्तुलन की स्थिति विश्व व्यवस्था कहलाती है। खाड़ी युद्ध में अमरीका द्वारा हस्तक्षेप

कर मानवता के नाम पर युद्ध करने को जॉर्ज बुश द्वारा नई विश्व व्यवस्था की संज्ञा प्रदान की गई थी। वर्तमान विश्व व्यवस्था की प्रमुख चुनौतियों निम्न

प्रकार है-

(1) अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद

(2) गरीबी उन्मूलन

(3) संस्थाओं में सुधार

(4) वैश्विक तापन

(5) आर्थिक मंदी

(6) वैश्विकरण के स्थान पर संरक्षणवाद को अपनाना(अमेरिका फर्स)

(7)व्यापार-युद्ध (चीन-अमेरिका)

(8) मुद्रा अवमूल्यन(चीन-यूआन)

(9) पर्यावरणीय संकट

(10) शरणार्थी समस्या(म्यामार, बांग्लादेश)

(11) नृजातीय संघर्ष

(12) अमेरिका द्वारा ईरान, रूस व उ.कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध।

नई विश्व व्यवस्था की सम्भावनाऐं:-

  1. पर्यावरण समस्या हेतु एक जुटता 2015- पेरिस सम्मेलन, सभी राष्ट्रों द्वारा INDC बनाना व जलवायु न्याय का समर्थन
  2. वैश्विक आतंकवाद निरोध हेतु अनेक संगठनों यथा BRICS, SCO के माध्यम से प्रयास। 1996 में UNO में प्रस्ताव
  3. सरंक्षणवाद को रोकने हेतु G-20 मे व G-7 में वार्ता
  4. शरणार्थी समस्या (रोहिग्या, चकमा)हेतु देशों के मध्य समझौता व विकासार्थ सामूहिक प्रयास।
  5. व्यापार युद्ध को रोकने हेतु चीन द्वारा अमेरिका की अपेक्षा कम आयात शुल्क लगाना व पुनः वैश्वीकरण की ओर मुडना।
  6. द्विपक्षीय व बहुपक्षीय सम्बन्ध स्थापित करना
  7. CPEC द्वारा चीन भारतीय संप्रभुता को प्रभावित
  8. US चीन तर्क ट्रैड वार की स्थिति में भारत का फायदा, भारत की आर्थिक वृद्धि दर में तेजी।
  9. सीरिया व क्रीमिया संकट हेतु वैश्विक स्तर पर प्रयास।
  10. अन्तरराष्ट्रीय संगठनों G-77, G-201 G-71 BRICS एशिया प्रशांत, SCO सार्क, बिम्सटेक, हिमतक्षेस के माध्यम से प्रयास।
  11. विकसित राष्ट्रों द्वारा विकासशील राष्ट्रों के विकास में सहयोग आतंकवाद की परिभाषा तय कर समन्वतात्मक गतिविधि, पेरिस समझौते का सही क्रियान्वयन, ISA भारत व फ्रांस इत्यादि द्वारा उपरोक्त चुनौतियों का सामना करना चाहिए

ये सभी नई विश्व व्यवस्था की स्थापना की ओर प्रकाश डालती है।

 

Question – 29. राष्ट्रीय एकीकरण की चुनौतियों का परीक्षण कीजिये?

Answer –  प्रमुख चुनौतियां:-

  1. जातिवाद – जातिवाद के कारण संघर्ष की एक स्थिति पैदा जिसके अंतर्गत विभिन्न जातियों के मध्य आरक्षण विवाद जो कि राष्ट्रीय एकीकरण में बाधक
  2. क्षेत्रवाद – राष्ट्र के स्थान पर अपने क्षेत्र विशेष को अधिक प्राथमिकता प्रदान करना। इसके कई रूप जैसे (क) राष्ट्र से पृथक होने की मांग- जम्मू कश्मीर (ख) पृथक राज्य मांग गौरखालैड(प. बंगाल), विदर्भ (महाराष्ट्र) (ग) पूर्ण राज्य की मांग- दिल्ली (घ) संसाधन पर अधिकार जताना – कावेरी विवाद
  3. नक्सलवादः- लाल कोरिडोर का 8 राज्यों में निर्माण अर्थात् छत्तीसगढ़, प.बंगाल, आंध्रप्रदेश, झारखंड आदि राज्यों में पिछडे़ आदिवासियों व कृषकों द्वारा जल, जंगल, जमीन को बचाने के नाम पर नक्सलवादी आन्दोलन जो कि सुरक्षा चुनौतियाँ का कारक।
  4. अलगाववादी प्रवृत्ति- जम्मू व कश्मीर में अलगाववादी ताक़तों को बल मिलना, विदेशी सहायता प्राप्त होने के कारण इनके अलग होने की मांग, उत्तर-पूर्वी राज्यों में मिजोरम मिजो नेशनल फ्रंट, नागालैड में नागा शक्ति संघर्ष, असम में असम गण परिषद आदि के द्वारा अलग होने की मांग राष्ट्रीय एकीकरण में चुनौती उत्पन्न
  5. आतंकवाद:- आतंकवाद राष्ट्र के विघटन का मार्ग प्रशस्त करता है। जो युवाओं को राष्ट्र से एकीकृत होने के स्थान पर अलगाववाद की और मोड़ता है।
  6. साम्प्रादियकताः- साम्प्रादियकता धार्मिक असहिष्णुता को जन्म देती है जिसमें कारण वर्तमान में भीड़ हिंसा को बल मिलना, गौ हत्या आदि अनेक घटनाओं को जन्म देती है।
  7. कर्नाटक द्वारा नए झडे को मान्यता देने की मांग।
  8. राष्ट्रवाद के नाम पर अन्य धर्मों का बहिष्कार, मॉब लिचिंग
  9. जम्मू व कश्मीर मे धारा 370, 35ए आदि लागू होना
  10. असंतुलित विकास – राष्ट्र के विभिन्न भागों में असंतुलित विकास भी इसका कारण है। पूर्वोत्तर राज्यों का कम विकास, उत्तर के राज्यों के अनुपात में दक्षिणी राज्य ज्यादा विकसित। इसके कारण उत्तर-दक्षिण विवाद भी बना रहता है। श्रमिक समस्याऐं भी आती है। हाल ही में गुजरात से उत्तरप्रदेश व बिहार के लोगों को खदेड़ना।
  11. भ्रष्ट राजनीति- राजनीति के भ्रष्ट होने के कारणवश नेता अपने कुरिसत स्वार्थ पूर्ति हेतु राष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों, वर्गों, धर्मों, जातियों को भड़काते है।
  12. जाति, धर्म, क्षेत्र उपरोक्त सभी कारक राष्ट्रीय एकीकरण में प्रमुख बाधक होते है सभी कारण भारतीय राजनीति में विद्यमान है।
  13. अन्तर्राज्यीय विवाद तथा केन्द्र राज्य विवाद
  14. अन्य मुद्दे -सीमा विवाद, आर्थिक असमानता, केन्द्र का अत्यधिक नियंत्रण।

 

Question –  30. राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं ने सामाजिक राजनैतिक विकास में महती भूमिका निभाई है यद्यपि अभी भी चुनौतियाँ विद्यवान हैं। स्पष्ट कीजिये?

Answer –  भारतीय स्वतंत्रता के पश्चात् 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम समीक्षा हेतु बलवन्त राय मेहता समिति का गठन किया गया था। इस समिति

की अनुशंसा पर भारत में पंचायतीराज व्यवस्था का शुभारम्भ 2 अक्टूबर 1959 को नागौर (राज.) से किया गया। तत्पश्चात् निर्वाचन समय पर न होने,

संवैधानिक दर्जा न होने के कारण असफल रहने पर 1993 में 73 वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था में जिला

स्तर पर जिला परिषद, मध्य स्तर पर पंचायत समिति तथा निम्न स्तर पर पंचायतों का प्रावधान। इन्होनें सामाजिक, राजनैतिक विकास में निम्न भूमिकाओं का

निर्वाह-

  1. गरीबी उन्मूलन में सहायक
  2. केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं को लक्षित व्यक्ति तक व उचित क्रियान्वयन में सहायक
  3. PDS प्रणाली को मजबूत करके भूखमरी व कुपोषण को दूर करने में सहायक
  4. महिलाओं की प्रशासन में उचित भूमिका व भागीदारी (50ः आरक्षण)
  5. नीति व योजना निर्माण में भूमिका
  6. राजनीतिक रूप से साक्षर बनाना व गांवो की भूमिका को राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में सार्थक करना शामिल है।

आज देश में 2.55 लाख पंचायती राज संस्थान कार्यरत है, जिसमे जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी, स्थानीय स्तर पर योजना निर्माण व क्रियान्वयन, राजनीतिक सहभागिता व लोकतंत्र की प्रयोगशाला की भूमिका अदा की हैं। परन्तु इन सबके बावजूद भी पंचायती राज व्यवस्थाओं में कुछ चुनौतियाँ वि़द्यमान है यथा- 

  1. राज्य सरकारों द्वारा वित्तीय अधिकार पूर्ण रूप से न देना, अनुदान हेतु संस्थाऐ राज्य सरकार का मुंह ताकती है।
  2. प्रशासनिक शक्तियों का पूर्ण हस्तानन्तरण नहीं, राज्य सरकारों का हस्तक्षेप बना रहता है।
  3. जागरूकता का अभाव-पर्याप्त प्रचार-प्रसार के अभाव में अभी भी जनमत में पर्याप्त जागरूकता की कमी है।
  4. वित्त अधिकारी के प्रयोग के प्रति अनिच्छा व भय का भाव
  5. कार्यपालिका का असहयोगात्मक रवैया।
  6. जातिगत राजनीति-स्थानीय स्वशासन सबसे अधिक जातिगत राजनीति से प्रभावित क्षेत्र है जो इसके विकास में कई बार बाधा उत्पन्न कर देता है।
  7. बहुस्तरीय व्यवस्था-पंचायत, पंचायत समिति, ब्लॉक आदि बहुस्तरीय व्यवस्था कभी कभी कई महत्वपूर्ण मामलों में अत्याधिक देर का कारण बन जाती है।
  8. उपयुक्त संसाधनों की कमी अभी भी पंचायतीराज संस्थाओं को अपने क्षेत्र के विकास हेतु पर्याप्त मात्रा में संसाधन नहीं मिल पाते है।
  9. भ्रष्टाचार का प्रसार
  10. नेताओं की अप्रभावित- पंचायती राज संस्थाओं में एक बार चुने जाने के बाद नेताओं को प्रभावी रूप से कार्य न करना भी एक चुनौती है।

कार्यपालिका का असहयोगात्मक रवैया। इन सब चुनौतियों के बावजूद भी महत्वपूर्ण स्थान है। प्रधानमंत्री द्वारा अप्रैल से ग्राम स्वराज अभियान का संचालन

पंचायतीराज संस्थाओं के सशक्तीकरण हेतु आरम्भ किया गया है। कुछ महत्वपूर्ण सुधारों द्वारा इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है।

 

Question – 31. निम्न में से किन्ही दो पर टिप्पणियाँ लिखिए-

  1. संघवाद से आप क्या समझते हैं।
  2. केन्द्रीय सतर्कता आयोग
  3. पंथ निरपेक्षता को स्पष्ट कीजिए।
  4. नृजातीयता क्या है।

Answer –  संघवाद:- भारत के संविधान में कहीं भी ’संघ’ शब्द का प्रयोग नही किया गया है। तथापि उसे ’राज्यों का संघ’ कहां गया है क्योंकि अनुच्छेद 2 के अनुसार भारत (1)राज्यों के बीच हुए किसी समझौते का परिणाम नही है। (2) किसी भी राज्य को भारत से अलग होने की अनुमति नहीं है। संघवाद से तात्पर्य किसी राजनीतिक व्यवस्था में केन्द्र व राज्यों के मध्य शक्तियों के उर्ध्वाधर विभाजन से है। केन्द्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का बँटवारा का कर सहभागिता पूर्ण शासन संचालन करना। फेडरलिजम शब्द फोएड्स से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है ’समझौता’ संघवाद के दो प्रकार है एक में बड़ा राज्य छोटे राज्यों मे विभक्त होकर आपसी सहमति से शासन करना-कनाडा मॉडल। दूसरे में छोटे राज्य मिलकर बड़ा राज्य बनाकर शासन करना- USA मॉडल। भारत में भी संघवाद को ही अपनाया गया है। अनुच्छेद 1 में भारतीय राज्यों का संघ उल्लेख किया गया है मगर भारत मे फेडरेशन की जगह यूनियन का इस्तेमाल क्योंकि भीमराव अंबेडकर के अनुसार भारतीय संघ राज्यों के समझौते का परिणाम नहीं है तथा ना ही राज्यों को संघ से पृथक होने का अधिकार है। अविभाज्य राज्यों का अविभाज्य संघ। भारतीय संघ में संघवाद के मौजूद लक्षण है- दोहरी सरकार, कठोर संविधान स्वतंत्र न्यायपालिका, नाम मात्र का कार्यपालिका प्रमुख, संविधान की सर्वोच्चयता इत्यादि।

पंथ निरपेक्षता:- पंथ निरपेक्षता शब्द संविधान में 42 वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया हालांकि इसमे पहले से पंथनिरपेक्षता के गुण थे।

पंथ निरपेक्षता से तात्पर्य भारत किसी भी धर्म को राज्य धर्म के तौर पर मान्यता नहीं देगा। इस हेतु संविधान में किये गये प्रावधान है। भारतीय संदर्भ में

इसका अर्थ है सभी धर्मों को समान भाव से देखना व सभी धर्मों को विकास के समान अवसर उपलब्ध कराना।

अनु. 15- धर्म, मूलवंश, जाति के आधार पर असमानता का प्रतिबंध

अनु.25- धर्म को अबाध मानने, आचरण तथा प्रसार की स्वतंत्रता

अनु.26 व 27- धर्मविषयक मामलों के प्रबन्ध की स्वतंत्रता, धार्मिक मामलो में करो के संद्राय से मुक्ति।

अनु.28 – स्कूलों, कॉलेजों व अन्य संस्थाओ में धार्मिक प्रार्थनाओ में उपस्थित होने से स्वतंत्रता।

 

Question – 32. किन परिस्थितियों में भारत के राष्ट्रपति के द्वारा वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा की जा सकती हैं? ऐसी उद्घोषणा के लागू रहने तक, इसके अनुसरण के क्या क्या परिणाम होते हैं।

Answer –  अनु. 360 के अनुसार राष्ट्रपति के द्वारा भारत के समक्ष वित्तीय संकट होने पर वित्तीय आपातकाल की घोषणा की जा सकती है। ऐसी उद्घोषणा 6-6 माह की अनुमति के साथ अनिश्चित काल तक लागू रह सकती है। मिनर्वा मिल्स वाद के तहत इस आपतकाल की न्यायिक समीक्षा भी की जा सकती है।

अनुमोदन:- वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा का अनुमोदन सामान्य बहुमत से इसकी घोषणा के 2 माह के भीतर किया जाना चाहिए। एक बार अनुमोदन पश्चात् दोबारा अनुमोदन की जरूरत नही है।

प्रभाव:- वित्तीय आपातकाल के तहत राज्य द्वारा लोक व्यय में कटौती, उच्च न्यायालय व अन्य लोक सेवकों के वेतन में कटौती, नई भर्ती निषेध जैसे प्रावधान किया जा सकता है(राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च न्यायलय के न्यायधीशों के वेतन में कटौती, सभी सरकारी कर्मचारी के वेतन में कटौती, अनुदान में कटौती)

परिणाम:-

  1. भारत में मुद्रास्फीति की स्थिति संभावित
  2. भारत का वैदेशिक व्यापार प्रभावित
  3. भारत सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के फंड आवंटन में कमी
  4. इसके तहत केन्द्र राज्य सम्बन्ध बदल जाते है, करो का सग्रहण केन्द्र सरकार द्वारा

भारत मे स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक एक बार भी वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की गई है। 1991 मे भुगतान सन्तुलन के संकट के समय वित्तीय

आपातकाल की आशंका की नजर आई थी मगर केन्द्र सरकार द्वारा प्रभावी नीतिगत निर्णयों के माध्यम से वित्तीय आपातकाल को टाल दिया गया। वित्तीय

आपातकाल से देश की वैश्विक स्तर पर साख खराब होती।

 

Question –  33 राफेल सौदा क्या है?

Answer –  फ्रांस की डसाल्ट एविएशन व भारत सरकार के मध्य समझौता, जो मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बेट एयरक्राफ़्ट (एमएमआरसीए) का हिस्सा है राफेल

एक फाइटर जेट है, समझौता सितम्बर 2016 में इसके तहत हमारी वायुसेना को 36 अत्याधुनिक लडाकू विमान मिलेंगे, यह सौदा लगभग 7.8 करोड़ यूरो का

है। यह टू सीवर ट्विन इंजन, मिडीयम मल्टीरोल फाइटर जेट है।

हाल ही में विवाद रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर बनाए जाने पर हालिय राजनीतिक मुद्दा।

 

Question – 34. ऑपरेशन पवन?

Answer –  भारतीय शांति सेना द्वारा श्रीलंका में जाफना का लिट्टे के कब्ज़े से मुक्त कराने के लिए संचालित ऑपरेशन। यह एक भारतीय सेना दल था, जो 1987 से 1990 के मध्य संचालित, गठन भारत-श्रीलंका सन्धि के अधिवेश के अंतर्गत किया गया था उद्देश्य-युद्धरत श्रीलंकाई तमिल राष्ट्रवादियों जैसे लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) और श्रीलकांई सेना के मध्य श्रीलंकाई गृह युद्ध को समाप्त करना था। इसके तहत T-72 टैंक का महत्वपूर्ण योगदान था।

 

Question – 35. इंदिरा नुई?

Answer –  इन्दिरा कृष्णामूर्ति नुई वर्तमान में पेप्सिकों कम्पनी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी है। दुनिया की प्रभावशाली महिलाओं में उनका नाम सुमार है। वे येल निगम के उत्तराधिकारी सदस्य है 2007 भारत सरकार द्वारा उद्योग व व्यापार के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित, 2008 कला और विज्ञान के अमेरिकन अकादमी के फ़ेलोशिप के लिए चुनी गई थी।

 

Question – 36. सबरीमाला मंदिर विवाद?

Answer –  केरल के तिरूअन्तपुरम मे स्थित भगवान अयप्पा का मन्दिर, यहाँ 10-50 वर्ष की महिलाओं को उनके मासिक धर्म चक्र के कारण प्रवेश की अनुमति न होने के कारण उत्पन्न विवाद। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में अनु. 14,15(लैगिक समानता) 25,26,27,28 (धार्मिक स्वतंत्रता)के अधिकार के आधार पर सभी पर प्रहार करते हुए वैधानिक शासन की स्थापना सुनिश्चित की। शुरूआत कन्नड़ अभिनेत्री जयमाला के दावे से, 2006 से

 

Question – 37. अस्ताना घोषणा पत्र

Answer –  शंघाई को-ऑपरेशन (एससीओ), 6 देशों के इस संगठन की शुरूआत 2001 में की गई,SCO एक पॉलिटिकल और सिक्युरिटी सूप है इसका हैडक्वार्टर बीजिंग में है।मध्य एशिया के देश कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में SCO की 9 जून 2017 की बैठक आयोजित हुई। बैठक में भारत व पाकिस्तान दोनों देशों को इसकी सदस्ता प्रदान की गयी। यह संगठन खासतौर पर मेम्बर कंट्रीज के बीच मिलिट्री को-ऑपरेशन के लिए बनाया गया।

महत्वपूर्ण (1) यह विश्व को बहु-ध्रुवीय बनाने का जरिया बनेगा। (2) SCO के चार्टर के अनुसार इस संगठन में शामिल देश अपने द्विपक्षीय मुद्दों को नहीं उठा सकते है। (3) भारत हेतु महत्वपूर्ण क्योंकि भारत-पाक SCO आतंकवाद विरोधी अभियान के तहत एक साथ सैन्य अभ्यास करेंगे अर्थात् अस्ताना में स्वीकार किया गया। आतंकवाद विरोधी करार भारत के लिए संतोष का विषय है। (4) इसमें आतंकवाद, उग्रवाद और पृथक्तावाद को शैतान के 3 सिर माना गया है।

 

Question – 38. INSTC एवं भारत

Answer –  अन्तरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor) भारत, ईरान, अफग़ानिस्तान, आर्मोनिया, उणरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग का 7200 कि.मी. लम्बी बहु मोड़ नेटवर्क है

भारत पर प्रभाव (1)भारत की यूरोपीय देशों तक पहुँच सुनिश्चित (2) भारत के व्यापारिक हित सुदृढ़ (3) भारत के प्रमुख शब्द मुम्बई का मॉस्को, तेहरान, बाकू, बंदर-ए-अब्बास, आस्त्राखान, बंदर-ए-अजंली आदि से सम्पर्क (4) वर्तमान में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक मार्गो पर समय और धन के संदर्भ में लागत को कम करना आदि।

 

Question –  39. रौहिंग्या संकंट?

Answer –  रोहिग्या समुदाय, म्यामांर में रखाइन प्रान्त (पूर्व बर्मा) का एक सुन्नी इस्लामिक (बंगाली भाषी) समुदाय है, म्यामांर में बौद्व बहुसंख्यक होने के कारण उत्पन्न नृजातीय संकट, म्यामांर देश ने इन्हे नागरिकता देने से मना कर दिया, सरकार के अनुसार रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेशी है, जो (अवैध रूप से)। ब्रिटिश औपवैशिक काल के दौरान उनके देश मे दाखिल हुए थे।

रोहिग्या लोग ऐतिहासिक तौर पर अरकानी भारतीय के नाम से भी पहचाने जाते है, म्यांमार देश के रखाइन व बाग्लादेश के चटगाँव इलाके मे बसने वाले राज्य विहिन हिन्द-आर्य लोगों का नाम है। ये लोग राहिंग्या भाषा बोलते है, बल्कि वैसे मुसलमान है वर्तमान में इनके द्वारा अन्य देशों में शरण लेना, जिससे अन्य देशों मे उत्पन्न शरणार्थी संकट। इस हेतु भारत द्वारा एन सी आर तैयार जिससे भारतीय लोगों की नागरिकता सुनिश्चित हो सके।

 

Question – 40. तिब्बत कोण क्या हैं

Answer –  2017 में भारत सरकार चीन के विरूद्ध तिब्बत कार्ड तैयार कर रही है तिब्बत-भारत-चीन त्रिकोण जिसमे तिब्बत भारत व चीन के मध्य बफरस्टेट की भूमिका में है। परन्तु चीन द्वारा तिब्बत पर आधिपत्य व तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा को भारत द्वारा शरण देना इस त्रिकोण को दर्शाता है।

तिब्बत कोण के निर्माण के कारण (1) भारत पाकिस्तान को Mother Shipofterrorism बताकर विश्व में अलग-थलग करना चाहता है परन्तु चीन द्वारा पाक का समर्थन (2) भारत की अपनी ’’महाशक्ति प्रतिष्ठा’’ हासिल करने के प्रयासों में चीन मदद करे, और राह न रोके (3) चीन स्वयं को हिन्द क्षेत्र में (IOR) आगेन बढ़ाये और भारत के प्रभाव क्षेत्र का सम्मान करे, किन्तु इन सभी मुद्दों पर चीन की अंसवदेनशीलता देखते हुए भारत वीघर फालनगोंग और तिब्बती पृथकतावादियों को भारत नियंत्रित करता है।

 

Question – 41. मोदी सिद्वान्त (भारतीय विदेशी मामले)

Answer –  अगस्त 2016 में PM ने भारत की विदेश नीति को ’’इंडिया फ़र्स्ट’’ का सांराश रूप दिया। ये भारत के अपने सामरिक हितों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता और अपने घर में अधिक समृद्धि और विकास की तलाश दर्शाता है मोदी सिद्धांत का नेतृत्व एक दर्शन से होता है और वास्तविक कार्यो से लागू किया जाता है विभिन्न कूटनीति आदान-प्रदानों को प्रमुख घरेलू कार्यक्रमों जैसे कि मेक-इन-इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया या स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने हेतु किया जा रहा है घरेलू और कूटनीति लक्ष्यों का आपस में ताल-मेल मोदी सिद्धांत का प्रमुख पहलू है। इस 1996 नीति को वर्तमान में पड़ोसी प्रथम नीति में तब्दील किया गया है जिसमे आपसी सहयोग, संयोजकता और अधिक नागरिक सम्पर्क शामिल है।

 

Question – 42. शघांई सहयोग संगठन?

Answer –  SCO डयूरेशिया का एक राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसकी स्थापना 26 अप्रैल मे शंघाई (चीन) में हुई। चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान सदस्य देश उज्बेकिस्तान शामिल 5 जून 2001 को। नाम पड़ाSCOए 24 जून 2016 को भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर अस्ताना में आयोजित शिखर सम्मेलन मे संगठन का सदस्य बनाया गया। 2018 का SCO सम्मेलन किगदांओ में आयोजित हुआ PM मोदी द्वारा SECURE सिद्धांत दिया गया।

 

Question – 43. राजनीतिक जनांकिकी क्या हैं?

Answer –  अन्य नाम जनसांख्यिकी, शाब्दिक अर्थ होता है लोगों का वर्णन जनाकिंकी विषय के अंतर्गत जनसंख्या से सम्बन्धित अनेक रूझानों तथा प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जैसे जनसंख्या के आकार मे परिवर्तन, जन्म, मृत्यु तथा प्रवसन के स्वरूप और जनसंख्या की संख्या और गठन अर्थात् उसके स्त्रियों, पुरूषों और विभिन्न आयुवर्ग के लोगों का क्या अनुपात है शामिल है। जनांकिकी आँकडे़, राज्य की नीतियाँ, विशेष रूप से अधिक विकास और सामान्य जन कल्याण सम्बन्धी नीतियाँ बनाने और कार्यान्वित करने के लिए महत्वपूर्ण होते है।

 

Question – 44. मतदान व्यवहार क्या हैं?

Answer –  निर्वाचन लोकतंत्र की एक अनिवार्य शर्त होता है। मतदान निर्णय लेने या अपना विचार प्रकट करने की एक विधि है जिसके द्वारा कोई समूह (जैसे कोई निर्वाचन क्षेत्र या किसी जिला मे इकट्टे लोग) विचार विनीमय तथा बहस के बाद कोई निर्णय ले पाते है। किसी मतदाता के व्यवहार का अध्ययन जिसके आधार पर वह मत देने हेतु प्रेरित होता है निरूत्साहित होकर मत नहीं देता या किसी विशेष प्रत्याशी को ही क्यो मत देता है का विश्लेषण मतदान व्यवहार कहलाता है। सेफोलॉजी मतदान व्यवहार विश्लेषण की शाखा है मतदान व्यवहार के निर्धारक-धर्म, जाति, क्षेत्रीयता, भाषा, राजनीतिक दल की विचारधारा, स्थानीय मुद्दे , किसी राजनेता का व्यक्त्वि, उम्मीदवार की पृष्ठभूमि, चुनाव प्रणाली आदि।

 

Question – 45. भारत अमेरिका इजराइल सम्बन्ध त्रिकोण क्या हैं?

Answer –  अमेरिका ईजराइल सहयोगी राष्ट्र है तथा अरब-इजराइल संघर्ष में भारत फिलीस्तीन का समर्थक होने के बाद भी इजराइल से सहयोग रखता है। भारत-अमेरिका-इजराइल कूटनीतिक त्रिकोण है जिसकी परिणति हेतु भारत की इजराइल मात्रा, ग्राम सम्मेलन (इजराइल सहयोग व सिंचाई सुविधा मे तकनीकी सहयोग शामिल है) अर्थात् भारत, USA व इजराइल द्वारा आतंकवाद को समाप्त करने, आर्थिक सम्बन्धों को मजबूत करने, अन्तरराष्ट्रीय शांति व सहयोग बढ़ाने, अलगाववादी व हिंसक ताक़तों के प्रभाव को समाप्त करने हेतु तीनों देशों का निर्मित त्रिकोण इसमे

  1. USO द्वारा येरूशलम को राजधानी के रूप में मान्यता प्रदान
  2. UNESCO की सदस्यता छोड़ना (इजराइल व नौ। द्वारा)
  3. भारत व इजराइल तथा भारत- USA के मध्य रक्षा उपकरणों व प्रोद्योगिकीयों का हस्तांतरण शामिल
  4. अन्य सम्बन्ध-साइबर सुरक्षा सहयोग, तेल और प्राकृतिक गैस, एयर ट्रासपोर्ट, फिल्म को-प्रोडक्शन, होम्योपैथिक चिकित्सा में अनुसंधान, अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश, इन्वेस्ट इन इंडिया व इन्वेस्ट इन ईजराइल आदि इस सम्बन्ध त्रिकोण को ओर मजबूत बनाते है।

 

Question – 46. राजस्थान में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के विभिन्न चरण स्पष्ट कीजिए?

Answer –  राजस्थान में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के तीन चरण मुख्य रूप से दृष्टि गत होते है-

  1. एक दलीय प्रभुत्व का दौर -(1952 से 1977) प्रथम विधानसभा गठन से लेकर पांचवी विधानसभा तक राजस्थान में एक ही राजनीति दल (कांग्रेस का वर्चस्व) इस दौरान मोहनलाल सुखाड़िया सर्वाधिक समय (17 वर्ष) तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। हिरालाल शास्त्री, जय नारायण व्यास व मोहनलाल सुखाड़िया का कार्यकाल
  2. गठबंधन दौर (अस्थिरता का दौर) 1977 से 1998 इस दौरान पहली बार कांग्रेसी वर्चस्व समाप्त तथा भैरोसिंह शेखावत के नेतृत्व में सरकार का गठन, इस दौर में तीन बार राष्ट्रपति शासन तथा कई मुख्य मंत्रियों के दौर देखे गये यथा भैरोसिंह शेखावत, शिव चरण माथुर, हरि देव जोशी आदि 
  3. द्विदलीय प्रणाली (1998 से अब तक) इस दौरान सरकार के स्थायित्व का काल तथा प्रत्येक 5 वर्ष पश्चात् सत्ता परिवर्तन द्विदलीय प्रणाली जारी कांग्रेस→भाजपा→कांग्रेस→भाजपा 1998 के बाद का काल राजनीति का संक्रमण काल कहलाता है, वर्तमान में राजस्थान में काग्रेस व भाजपा दो मुख्य प्रतिर्स्पाधात्मक राजनीति दल है। अब तक 14 बार विधानसभा के चुनाव सम्पन्न हो चुके है। 15 वीं विधानसभा चुनाव प्रणाली आगामी 7दिसम्बर 2018 को राज्य में सम्पन्न करवाये जायेंगे।

 

Question – 47. धारा 35ए को स्पष्ट कीजिए।

Answer –  धारा 35ए भारत के सविंधान के परिशिष्ट-2 में पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा अपने आदेश से 1954 में जोड़ी गई। यह जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में एक विशेष उपबन्ध है, जो अनुच्छेद (धारा) 370 के तहत् जम्मू-कश्मीर से सम्बन्धिन विशेष अधिकार प्रदान करती है। इसके तहत-

  1. जम्मू-कश्मीर विधानसभा को स्थायी नागरिकता को परिभाषित करने का अधिकार दिया गया है। (1954 से पहले 10 वर्ष से निर्वासित ही J&K के नागरिकों के रूप में मान्य)
  2. इसके तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति (राज्य के बाहर का) जम्मू-कश्मीर में भूमि नहीं खरीद सकता, न ही सरकारी नौकरी में भर्ती हो सकता है।
  3. इसके तहत अगर कोई महिला किसी गैर कश्मीरी नागरिक से विवाह कर लेती है तो उसकी सम्पत्ति से बेदखली व नागरिकता खत्म जो अनु.14 का उल्लंघन है। यह धारा जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को अपने राज्य हितों को देखते हुए बनायी गयी इसको हटाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका अनु. 368 के तहत नही करके तथा ससद मे नही रखकर असंवैधानिक माना जाता है।

 

Question – 48. नियंत्रक और महालेखापरीक्षक को एक अत्यावश्यक भूमिका निभानी होती है, क्या आप इस मत से सहमत है?

Answer –  भारतीय संविधान के अनु. 148 से 151(भाग-5) में नियंत्रण व महालेख परीक्षक का प्रावधान किया गया है। इन्हे लोक लेखा समिति का मित्र, गाइड, मार्गदर्शन या पथ प्रदर्शक की संज्ञा दी जाती है। CAG विनियोग लेखा, वित्त लेखा व सार्वजनिक उपक्रम लेखा सम्बन्धि तीनों रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौपता है तथा भारत की संचित निधि व लोक लेखा से हुई व्ययों की जांच करता है। यह भारत के लिए महानियंत्रक व राज्य के लिए लेखाकार व नियंत्रक दोनो का कार्य करता है, अतः इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। इनकी रिपोर्टों के माध्यम से ही विधायिका कार्यपालिका पर नियंत्रण स्थापित करती है जो शक्ति पृथक्करण के सिद्धांतों की प्रतिपूर्ति करती है। CAG द्वारा औचित्य लेखा से संसाधनों व धन का इस्टतम उपयोग करने हेतु कार्यपालिका बाध्य होती हैं। इस दृष्टि से इसकी भूमिका अत्यावश्यक है।

लेकिन कोई भी राज्य या केन्द्र इसकी अनुमति के बिना संचितनिधि से धन की निकासी कर सकता है, इसका कार्य केवल धन निकासी के पश्चात् लेखा परीक्षक के रूप में दूसरा इनके द्वारा राष्ट्रपति को सोपी गयी रिपोर्ट की जांच लोक लेखा समिति करती है जो के राजनीतिक हस्तक्षेप है। यह कार्य केवल मात्र ’’शव परीक्षा’’ की तरह है फिर भी इसकी अत्यावश्यक भूमिका को देखते हुए भारत में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की कल्पना करना स्वाभाविक है।

 

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