Hindi 10th Previous Year Question Paper 2017 (CBSE)

हिन्दी 

(पाठ्यक्रम अ)

(Course A) 

सामान्य निर्देश :

(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ। 

(ii) चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है। 

(iii) यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए। 

खंड ‘क’ 

Q. 1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए 

देश की आज़ादी के उनहत्तर वर्ष हो चुके हैं और आज ज़रूरत है अपने भीतर के तर्कप्रिय भारतीयों को जगाने की, पहले नागरिक और फिर उपभोक्ता बनने की। हमारा लोकतंत्र इसलिए बचा है कि हम सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन वह बेहतर इसलिए नहीं बन पाया क्योंकि एक नागरिक के रूप में हम अपनी ज़िम्मेदारियों से भागते रहे हैं। किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली की सफलता जनता की जागरूकता पर ही निर्भर करती है। एक बहुत बड़े संविधान विशेषज्ञ के अनुसार किसी मंत्री का सबसे प्राथमिक, सबसे पहला जो गुण होना चाहिए वह यह कि वह ईमानदार हो और उसे भ्रष्ट नहीं बनाया जा सके। इतना ही जरूरी नहीं, बल्कि लोग देखें और समझें भी कि यह आदमी ईमानदार है। उन्हें उसकी ईमानदारी में विश्वास भी होना चाहिए। इसलिए कुल मिलाकर हमारे लोकतंत्र की समस्या मूलत: नैतिक समस्या है। संविधान, शासन प्रणाली, दल, निर्वाचन ये सब लोकतंत्र के अनिवार्य अंग हैं। पर जब तक लोगों में नैतिकता की भावना न रहेगी, लोगों का आचार-विचार ठीक न रहेगा तब तक अच्छे से अच्छे संविधान और उत्तम राजनीतिक प्रणाली के बावजूद लोकतंत्र ठीक से काम नहीं कर सकता। स्पष्ट है कि लोकतंत्र की भावना को जगाने व संवर्द्धित करने के लिए आधार प्रस्तुत करने की ज़िम्मेदारी राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक है। 

आज़ादी और लोकतंत्र के साथ जुड़े सपनों को साकार करना है, तो सबसे पहले जनता को स्वयं जाग्रत होना होगा। जब तक स्वयं जनता का नेतृत्व पैदा नहीं होता, तब तक कोई भी लोकतंत्र सफलतापूर्वक नहीं चल सकता। सारी दुनिया में एक भी देश का उदाहरण ऐसा नहीं मिलेगा जिसका उत्थान केवल राज्य की शक्ति द्वारा हुआ हो। कोई भी राज्य बिना लोगों की शक्ति के आगे नहीं बढ़ सकता। 

(क) लगभग 70 वर्ष की आज़ादी के बाद नागरिकों से लेखक की अपेक्षाएँ हैं कि वे : 

     (i) समझदार हों 

     (ii) प्रश्न करने वाले हों 

     (iii) जगी हुई युवा पीढ़ी के हों 

     (iv) मजबूत सरकार चाहने वाले हों 

(ख) हमारे लोकतांत्रिक देश में अभाव है : 

     (i) सौहार्द का 

     (ii) सद्भावना का 

     (iii) जिम्मेदार नागरिकों का 

     (iv) एकमत पार्टी का 

(ग) किसी मंत्री की विशेषता होनी चाहिए : 

     (i) देश की बागडोर सँभालनेवाला 

     (ii) मिलनसार और समझदार 

     (ii) सुशिक्षित और धनवान 

     (iv) ईमानदार और विश्वसनीय 

(घ) किसी भी लोकतंत्र की सफलता निर्भर करती है : 

    (i) लोगों में स्वयं ही नेतृत्व भावना हो 

     (ii) सत्ता पर पूरा विश्वास हो 

     (iii) देश और देशवासियों से प्यार हो 

     (iv) समाज-सुधारकों पर भरोसा हो 

(ङ) लोकतंत्र की भावना को जगाना-बढ़ाना दायित्व है : 

    (i) राजनीतिक 

    (ii) प्रशासनिक 

    (iii) सामाजिक 

    (iv) संवैधानिक 

 

Q. 2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए 

गीता के इस उपदेश की लोग प्राय: चर्चा करते हैं कि कर्म करें, फल की इच्छा न करें। यह कहना तो सरल है पर पालन उतना सरल नहीं। कर्म के मार्ग पर आनन्दपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अंतिम फल तक न भी पहुंचे तो भी उसकी दशा कर्म न करने वाले की अपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक तो कर्म करते हुए उसका जो जीवन बीता वह संतोष या आनंद में बीता, उसके उपरांत फल की अप्राप्ति पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया। फल पहले से कोई बना बनाया पदार्थ नहीं होता। अनुकूल प्रयत्न-कर्म के अनुसार, उसके एक-एक अंग की योजना होती है। किसी मनुष्य के घर का कोई प्राणी बीमार है। वह वैद्यों के यहाँ से जब तक औषधि ला-लाकर रोगी को देता जाता है तब तक उसके चित्त में जो संतोष रहता है, प्रत्येक नए उपचार के साथ जो आनंद का उन्मेष होता रहता है- यह उसे कदापि न प्राप्त होता, यदि वह रोता हुआ बैठा रहता। प्रयत्न की अवस्था में उसके जीवन का जितना अंश संतोष, आशा और उत्साह में बीता, अप्रयत्न की दशा में उतना ही अंश केवल शोक और दुख में कटता। इसके अतिरिक्त रोगी के न अच्छे होने की दशा में भी वह आत्म-ग्लानि के उस कठोर दुख से बचा रहेगा जो उसे जीवन भर यह सोच-सोच कर होता कि मैंने पूरा प्रयत्न नहीं किया। 

कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनंद भरा रहता है कि कर्ता को वे कर्म ही फल-स्वरूप लगते हैं। अत्याचार का दमन और शमन करते हुए कर्म करने से चित्त में जो तुष्टि होती है वही लोकोपकारी कर्मवीर का सच्चा सुख है। 

(क) कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा नहीं होता क्योंकि : 

     (i) अंतिम फल पहुँच से दूर होता है 

     (ii) प्रयत्न न करने का भी पश्चाताप नहीं होता 

     (iii) वह आनन्दपूर्वक काम करता रहता है 

     (iv) उसका जीवन संतुष्ट रूप से बीतता है 

(ख) घर के बीमार सदस्य का उदाहरण क्यों दिया गया है? 

    (i) पारिवारिक कष्ट बताने के लिए। 

    (ii) नया उपचार बताने के लिए 

    (iii) शोक और दुख की अवस्था के लिए 

   (iv) सेवा के संतोष के लिए 

(ग) ‘कर्मण्य’ किसे कहा गया है? 

    (i) जो काम करता है 

    (ii) जो दूसरों से काम करवाता है 

    (iii) जो काम करने में आनंद पाता है 

    (iv) जो उच्च और पवित्र कर्म करता है 

(घ) कर्मवीर का सुख किसे माना गया है : 

    (i) अत्याचार का दमन 

    (ii) कर्म करते रहना 

    (iii) कर्म करने से प्राप्त संतोष 

    (iv) फल के प्रति तिरस्कार भावना 

(ङ) गीता के किस उपदेश की ओर संकेत है : 

    (i) कर्म करें तो फल मिलेगा 

    (ii) कर्म की बात करना सरल है 

    (iii) कर्म करने से संतोष होता है 

    (iv) कर्म करें फल की चिंता नहीं 

 

Q. 3. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए 

सूख रहा है समय इसके हिस्से की रेत उड़ रही है आसमान में सूख रहा है 

आँगन में रखा पानी का गिलास पँखुरी की साँस सूख रही है जो सुंदर चोंच मीठे गीत सुनाती थी उससे अब हाँफने की आवाज आती है हर पौधा सूख रहा है हर नदी इतिहास हो रही है 

हर तालाब का सिमट रहा है कोना यही एक मनुष्य का कंठ सूख रहा है वह जेब से निकालता है पैसे और खरीद रहा है बोतल बंद पानी बाकी जीव क्या करेंगे अब न उनके पास जेब है न बोतल बंद पानी। 

(क) ‘सूख रहा है समय’ कथन का आशय है : 

    (i) गर्मी बढ़ रही है 

    (ii) जीवनमूल्य समाप्त हो रहे हैं 

    (iii) फूल मुरझाने लगे हैं 

    (iv) नदियाँ सूखने लगी हैं 

(ख) हर नदी के इतिहास होने का तात्पर्य है-V 

    (i) नदियों के नाम इतिहास में लिखे जा रहे हैं 

    (ii) नदियों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है 

    (iii) नदियों का इतिहास रोचक है 

    (iv) लोगों को नदियों की जानकारी नहीं है 

(ग) “पँखुरी की साँस सूख रही है जो सुंदर चोंच मीठे गीत सुनाती थी’ ऐसी परिस्थिति किस कारण उत्पन्न हुई?

    (i) मौसम बदल रहे हैं 

    (ii) अब पक्षी के पास सुंदर चोंच नहीं रही 

    (iii) पतझड़ के कारण पत्तियाँ सूख रही थीं

    (iv) अब प्रकृति की ओर कोई ध्यान नहीं देता 

(घ) कवि के दर्द का कारण है : 

    (i) पँखुरी की साँस सूख रही है 

    (ii) पक्षी हाँफ रहा है 

    (iii) मानव का कंठ सूख रहा है 

    (iv) प्रकृति पर संकट मँडरा रहा है 

(ङ) ‘बाकी जीव क्या करेंगे अब’ कथन में व्यंग्य है : 

    (i) जीव मनुष्य की सहायता नहीं कर सकते 

    (ii) जीवों के पास अपने बचाव के कृत्रिम उपाय नहीं हैं 

    (iii) जीव निराश और हताश बैठे हैं 

    (iv) जीवों के बचने की कोई उम्मीद नहीं रही, | 

 

Q. 4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए 

नदी में नदी का अपना कुछ भी नहीं जो कुछ है सब पानी का है। जैसे पोथियों में उनका अपना कुछ नहीं होता कुछ अक्षरों का होता है कुछ ध्वनियों और शब्दों का कुछ पेड़ों का कुछ धागों का कुछ कवियों का जैसे चूल्हे में चूल्हे का अपना 

कुछ भी नहीं होता न जलावन, न आँच, न राख जैसे दीये में दीये का न रुई, न उसकी बाती न तेल न आग न दियली वैसे ही नदी में नदी का अपना कुछ नहीं होता। नदी न कहीं आती है न जाती है वह तो पृथ्वी के साथ सतत पानी-पानी गाती है। नदी और कुछ नहीं पानी की कहानी है जो बूंदों से सुन कर बादलों को सुनानी है। 

(क) कवि ने ऐसा क्यों कहा कि नदी का अपना कुछ भी नहीं सब पानी का है। 

    (i) नदी का अस्तित्व ही पानी से है 

    (ii) पानी का महत्व नदी से ज्यादा है 

    (iii) ये नदी का बड़प्पन है 

    (iv) नदी की सोच व्यापक है 

(ख) पुस्तक-निर्माण के संदर्भ में कौन-सा कथन सही नहीं है 

    (i) ध्वनियों और शब्दों का महत्व है 

    (ii) पेड़ों और धागों का योगदान होता है 

    (iii) कवियों की कलम उसे नाम देती है 

    (iv) पुस्तकालय उसे सुरक्षा प्रदान करता है 

(ग) कवि, पोथी, चूल्हे आदि उदाहरण क्यों दिए गए हैं? 

    (i) इन सभी के बहुत से मददगार हैं 

    (ii) हमारा अपना कुछ नहीं 

    (iii) उन्होंने उदारता से अपनी बात कही है 

    (iv) नदी की कमजोरी को दर्शाया है 

(घ) नदी की स्थिरता की बात कौन-सी पंक्ति में कही गई है? 

    (i) नदी में नदी का अपना कुछ भी नहीं 

    (ii) वह तो पृथ्वी के साथ सतत पानी-पानी गाती है 

    (iii) नदी न कहीं आती है न जाती है 

    (iv) जो कुछ है सब पानी का है 

(ङ) बूंदें बादलों से क्या कहना चाहती होंगी? 

    (i) सूखी नदी और प्यासी धरती की पुकार 

    (ii) भूखे-प्यासे बच्चों की कहानी 

    (ii) पानी की कहानी 

    (iv) नदी की खुशियों की कहानी 

खंड ‘ख’

Q. 5. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए 

(क) जीवन की कुछ चीजें हैं जिन्हें हम कोशिश करके पा सकते हैं। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए) 

(ख) मोहनदास और गोकुलदास सामान निकालकर बाहर रखते जाते थे। (संयुक्त वाक्य में बदलिए) 

(ग) हमें स्वयं करना पड़ा और पसीने छूट गए। (मिश्रवाक्य में बदलिए) 

 

Q. 6. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए 

(क) कूजन कुंज में आसपास के पक्षी संगीत का अभ्यास करते हैं। (कर्मवाच्य में) 

(ख) श्यामा द्वारा सुबह-दोपहर के राग बखूबी गाए जाते हैं। (कर्तृवाच्य में) 

(ग) दर्द के कारण वह चल नहीं सकती। (भाववाच्य में) 

(घ) श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से की जाती है। (कर्तृवाच्य में) 

 

Q. 7. रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए 

सुभाष पालेकर ने प्राकृतिक खेती की जानकारी अपनी पुस्तकों में दी है। 

 

Q. 8. (क) काव्यांश पढ़कर रस पहचानकर लिखिए 

साक्षी रहे संसार करता हूँ प्रतिज्ञा पार्थ मैं, पूरा करूँगा कार्य सब कथनानुसार यथार्थ मैं। जो एक बालक को कपट से मार हँसते हैं अभी, वे शत्रु सत्वर शोक-सागर-मग्न दीखेंगे सभी। 

साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए, बायें से वे मलते हुए पेट को चलते, 

और दाहिना दया दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए। 

(ख) (i) निम्नलिखित काव्यांश में कौन-सा स्थायी भाव है? 

                  मेरे लाल को आउ निंदरिया, काहै न आनि सुवावै 

                 तू काहै नहिं बेगहीं आवै, तोको कान्ह बुलावै 

       (ii) शृंगार रस के स्थायी भाव का नाम लिखिए। 

खंड ‘ग’ 

 

Q. 9. निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 

भवभूति और कालिदास आदि के नाटक जिस ज़माने के हैं उस ज़माने में शिक्षितों का समस्त समुदाय संस्कृत ही बोलता था, इसका प्रमाण पहले कोई दे ले तब प्राकृत बोलने वाली स्त्रियों को अपढ़ बताने का साहस करे। इसका क्या सबूत कि उस ज़माने में बोलचाल की भाषा प्राकृत न थी? सबूत तो प्राकृत के चलने के ही मिलते हैं। प्राकृत यदि उस समय की प्रचलित भाषा न होती तो बौद्धों तथा जैनों के हज़ारों ग्रंथ उसमें क्यों लिखे जाते, और भगवान शाक्य मुनि तथा उनके चेले प्राकृत ही में क्यों धर्मोपदेश देते? बौद्धों के त्रिपिटक ग्रंथ की रचना प्राकृत में किए जाने का एकमात्र कारण यही है कि उस ज़माने में प्राकृत ही सर्वसाधारण की भाषा थी। अतएव प्राकृत बोलना और लिखना अपढ़ और अशिक्षित होने का चिह्न नहीं। 

(क) नाटककारों के समय में प्राकृत ही प्रचलित भाषा थी-लेखक ने इस संबंध में क्या तर्क दिए हैं? दो का उल्लेख कीजिए। 

(ख) प्राकृत बोलने वाले को अपढ़ बताना अनुचित क्यों है? 

(ग) भवभूति-कालिदास कौन थे? 

 

Q. 10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए 

(क) मन्नू भंडारी ने अपने पिताजी के बारे में इंदौर के दिनों की क्या जानकारी दी है? 

(ख) मन्नू भंडारी की माँ धैर्य और सहनशक्ति में धरती से कुछ ज्यादा ही थीं-ऐसा क्यों कहा गया? 

(ग) उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ को बालाजी के मंदिर का कौन-सा रास्ता प्रिय था और क्यों? 

(घ) संस्कृति कब असंस्कृति हो जाती है और असंस्कृति से कैसे बचा जा सकता है? 

(ङ) कैसा आदमी निठल्ला नहीं बैठ सकता? संस्कृति’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। 

 

Q. 11. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 

वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में खो चुका होता है . या अपनी ही सरगम को लाँघकर चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन जब वह नौसिखिया था। 

(क) ‘वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से’ का भाव स्पष्ट कीजिए। 

(ख) मुख्य गायक के अंतरे की जटिल-तान में खो जाने पर संगतकार क्या करता है? 

(ग) संगतकार, मुख्य गायक को क्या याद दिलाता है? 

 

Q. 12. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए 

(क) ‘लड़की जैसी दिखाई मत देना’ यह आचरण अब बदलने लगा है- इस पर अपने विचार लिखिए। 

(ख) बेटी को अंतिम पूँजी’ क्यों कहा गया है? 

(ग) ‘दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं’ कथन में किस यथार्थ का चित्रण है? 

(घ) ‘बहु धनुही तोरी लरिकाई’- यह किसने कहा और क्यों? 

(ङ) लक्ष्मण ने शूरवीरों के क्या गुण बताए हैं। 

 

Q. 13. ‘जल-संरक्षण’ से आप क्या समझते हैं? हमें जल-संरक्षण को गंभीरता से लेना चाहिए, क्यों और किस प्रकार? जीवनमूल्यों की दृष्टि से जल-संरक्षण पर चर्चा कीजिए। 

खंड ‘घ’ 

 

Q. 14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 250 शब्दों में निबंध लिखिए 

(क) एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम 

  • सजावट और उत्साह . कार्यक्रम का सुखद आनंद प्रेरणा 

(ख) वन और पर्यावरण 

  • वन अमूल्य वरदान 
  • मानव से संबंध 
  • पर्यावरण के समाधान 

(ग) मीडिया की भूमिका 

  • मीडिया का प्रभाव सकारात्मकता और नकारात्मकता अपेक्षाएँ 

 

Q. 15. पी.वी. सिंधु को पत्र लिखकर रियो ओलंपिक में उसके शानदार खेल के लिए बधाई दीजिए और उनके खेल के बारे में अपनी राय लिखिए। 

अथवा 

Q. 15अपने क्षेत्र में जल-भराव की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखिए। 

 

Q. 16. निम्नलिखित गद्यांश का शीर्षक लिखकर एक-तिहाई शब्दों में सार लिखिए : 

संतोष करना वर्तमान काल की सामयिक आवश्यक प्रासंगिकता है। संतोष का शाब्दिक अर्थ है ‘मन की वह वृत्ति या अवस्था जिसमें अपनी वर्तमान दशा में ही मनुष्य पूर्ण सुख अनुभव करता है।’ भारतीय मनीषा ने जिस प्रकार संतोष करने के लिए हमें सीख दी है उसी तरह असंतोष करने के लिए भी कहा है। चाणक्य के अनुसार हमें इन तीन उपक्रमों में संतोष नहीं करना चाहिए। जैसे विद्यार्जन में कभी संतोष नहीं करना चाहिए कि बस, बहुत ज्ञान अर्जित कर लिया। इसी तरह जप और दान करने में भी संतोष नहीं करना चाहिए। वैसे संतोष करने के लिए तो कहा गया है- ‘जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि समान।’ ‘हमें जो प्राप्त हो उसमें ही संतोष करना चाहिए।’ ‘साधु इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय, मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाए।’ संतोष सबसे बड़ा धन है। जीवन में संतोष रहा, शुद्ध-सात्विक आचरण और शुचिता का भाव रहा तो हमारे मन के सभी विकार दूर हो जाएंगे और हमारे अंदर सत्य, निष्ठा, प्रेम, उदारता, दया और आत्मीयता की गंगा बहने लगेगी। आज के मनुष्य की सांसारिकता में बढ़ती लिप्तता, वैश्विक बाजारवाद और भौतिकता की चकाचौंध के कारण संत्रास, कुंठा और असंतोष दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसी असंतोष को दूर करने के लिए संतोषी बनना आवश्यक हो गया है। सुखी और शांतिपूर्ण जीवन के लिए संतोष सफल औषधि है। 

Answer sheet 

खण्ड-‘क’ 

उत्तर 1.

(क) कर्तव्यपालन 

(ख) वहाँ के निवासियों पर 

(ग) वाहन चालको को सुधारा है 

(घ) गाँव से जुड़ी समस्याओं के निदान में ग्रामीणों की भूमिका की नकारना 

(ड़) ज़िम्मेदारी के प्रति सचेत करना 

 

उत्तर 2.

(क) राखीगढ़ी 

(ख) शहर नियोजित था। 

(ग) नष्ट हो जाने का खतरा है। 

(घ) काफ़ी प्राचीन और बड़ी सभ्यता हो सकती है |

(ड़)  राखीगढी : एक सभ्यता की संभावना 

 

उत्तर 3.

(क) निराशा और जड़ता छोड़ी।

(ख) दुखी लोग और ईश्वर

(ग) उच्च आदर्श और आशा के महत्व को बनाए रखेंगे

(घ) इस भूमि पर बुद्ध और बापू जैसे लोग जन्म लेते रहे।

(ड़) भारतीयों में योगी, संत और शहीद अवतार लेते रहे 

 

उत्तर 4.

(क) मुर्ख है 

(ख) प्रगति के पथ पर एक कदम भी नही बढ़ा 

(ग) सबसे बलशाली है 

(घ) जब हम हवाओं के बल पर झूमते है 

(ड़) सबने अपने अहंकार में उसे भुला दिया 

खण्ड – ‘ख’ 

उत्तर 5.

(क) डलिया में दूसरे फलों के साथ आम रखे है 

(ख) दीपक शर्मीला है इसलिए पेड़ के पलों में छुपकर बोलता है।

(ग) मिश्र वाक्य

 

उत्तर 6.

(क) कुछ छोटे भूरे पक्षियों द्वारा मंच संभाल लिया जाता है 

(ख) बुलबुल रात्रि-विश्राम अमरुद की डाल पर करती है 

(ग) तुमसे दिनभर कैसे बैठा जाएगा? 

(घ) सात सुरो को उसके द्वारा गजब की विविधता के साथ प्रस्ताव किया जाता है। 

 

उत्तर 7. मानव को 

भेद – संज्ञा 

उपभेद – जातिवाचक संज्ञा 

लिंग -पुल्लिंग 

वचन – एकवचन 

कारक – संप्रदान कारक 

कठिन 

भेद – विशेषण 

उपभेद – गुणवाचक 

लिंग -पुल्लिंग 

वचन – एकवचन 

विशेष्य – कार्य 

कार्य 

भेद – संज्ञा 

उपमेद – जातिवाचक 

लिंग – पुल्लिंग 

वचन – एकवच्न 

लेकिन 

भेद- समुच्चयबोधक 

उपभेद – समानाधिकरण 

पदों को जोड़ रहा है- ‘मानव को इंसान बनाना अत्यंत कठिन कार्य है’ 

लेकिन असंभव नहीं।’ को जोड़ रहा है। 

 

उत्तर 8.

(क) रौद्र रस 

(ख) करुण रस

(ग) संतात प्रेम स्थायी भाव है।

(घ) हास्य रस का स्थायों भाव हैं हास

खण्ड-‘ग’

उत्तर 9. (क) पुराणों में नियमबद्ध शिक्षा प्रणाली न मिलने पर लेखक आश्चर्य नहीं मानता क्योंकि पुराने जमाने में स्त्रियों के लिए कोई विश्वविध्यालय नहीं  था तो नियमबद्ध प्रणाली कहीं से मिलती । यदि कोई कोई उल्लेख रहा भी हो परंतु नष्ट हो गया हो तो उसका पुराणादि में न मिलना आश्चर्यजनक नहीं है। 

(ख) लेखक ने यह बताया है कि पुराणादि में जहाज बनाने के कोई ग्रंथ  होने के बाद भी हम उनका अस्तित्व बड़े गर्व से स्वीकार कर लेते हैं उसी प्रकार हमें यदि पुराणों में स्त्री शिक्षा की नियमबध प्रणाली न मिले तो इसका अर्थ यह नहीं समझना चाहिए कि पुराने जमाने की सभी स्त्रिया अनपढ़ थी या उन्हें पढ़ाने की परंपरा न थी क्योंकि पुराने ग्रंथो में अनेक विद्वान पण्डिताओ का उल्लेख मिलता है। 

(ग) शिक्षा की नियमावली का न मिलना , स्त्रियों के अनपढ़ होने का सबूत नही है क्योंकि पुराने ग्रंथों में अनेक प्रगल्भ पंडिताओं का नामोल्लेख मिलता है। 

 

उत्तर 10. (क) मन्नू भंडारी जे अपनी माँ के बारे में बताते हुए कहा है कि उनकी माँ में धरती से कुछ आधिक ही सहनशीलता व धैर्य है। उन्होंने जीवन में अपने लिए कुछ नहीं चाहा केवल दिया ही दिया है। वह हमेशा  पिताजी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य और बच्चों की हर उचित-अनुचित इच्छा को अपना फर्ज समझकर निभाती थी। लोखिका कहती है उनका और उनके भाई-बहनो का सारा लगाव माँ के प्रति था। साथ ही लेखिका ने यह भी कहा है कि उनकी माँ का निहायत मजबूरी में लिपटा त्याग कभी उनका आदर्श नही बन सका। 

(ख) लेखिका ने अपने पिता के शक्की स्वभाव का कारण अपनों के हाथों विश्वासघात होने का दिया है। वह विचार करती है कि कितनी गहरी चोटे होगी वे अपनों के द्वारा विश्वासघात की जिन्होंने आँख मूंदकर सबका विश्वास करने वाले पिता जी को इतना शक्की बना दिया। लेखिका ने यह भी बताया कि गिरती आर्थिक व्यवस्था के कारण भी पिताजी का स्वभाव बात के दिनों में शक्की हो गया था कि तब परिवार के बाकी लोग भी इसकी चपेट में आते रहते थे। 

(ग) बिस्मिल्ला खाँ अस्सी वर्ष से खुदा से सच्चे सुर की मांग कर रहे थे। उन्हें विश्वास था कि एक दिन खुदा उन पर ही मेहरबान होगा और  उनकी झोली से सुर का फल उछाल कर उनकी ओर फेंकेगा और कहेगा ‘जा अमाेरुब्दीन । ले जा इसे और करले अपनी मुराद पूरी। अर्थात एक दिन सुर को बरतने की तमीज उन्हें अवश्य आएगी। 

(घ) काशी से मलाई बर्फ, कचौड़ी, अदब और आदर की संस्कृति के जाने के बाद भी अभी कुछ शेष है जो केवल काशी में है। काशी आज भी संगीत के स्वर पर जगती है और इसी की थाप पर सोती है। काशी में बिमिल्ला खाँ के रूप में संगीत और सुर की तमीज सिखाने वाला हिरा रहा है। 

(ड़) कोसल्यायन जी के अनुसार संस्कृति ही सभ्यता की जननी है। हमारे खान-पान के तरीके, हमारे रहन-सहन के तरीके, हमारे गमना गमन के साधन, परस्पर कट- मरने के तरीके, ये सब हमारी सभ्यता है।

 

उत्तर 11. (क) इस पक्ति आशय है कि जब मुख्य गायक नारसप्तक में गाता है और उसमें गाते हुए उसकी आवाज में प्रवाह कम होने लगता और वह अपने सुर से भटक जाता है और उसका सुर बुझा-बुझा सा  प्रतीत होने लगता है। 

(ख) मुख्य गायक, को ढाढ़स बँधाता है संगतकार । जब तारसप्तक में  गाते हुए मुख्य गायक का गला बैठने लगता है, उसका उसका उत्साह कम होने लगता है तब संगतकार उसके स्वर में अपना स्वर मिलाकर उसे ढाढ़स बँधाता है। 

(ग) ऊँचे स्वर में गानो तारसप्तक कहलाता है। 

 

उत्तर 12. (क) कन्यादान कविता में मां ने बेटी की अपने चेहरे न रीझने  की सलाह इसलिए दी, क्योंकि प्रशंसा के वे शब्द उसे आदर्श रूपी बंधन में बांध देंगे और समाज के सामने उसकी यही कोमलता उसकी कमजोरी बन जागी । 

(ख) माँ को बेटी को दान में देने का दुख प्रामाणिक था । उसकी बेटी से अंतिम पूंजी के समान लग रही थी क्योंकि उसने उसे इतने प्रेम से पाला  था और जीवन भर उसे संभाल कर रखा था अब वह उसे किसी और को दे रही है अब उसकी बेटी उसके लिए पराई हो जाएगी। इसी कारण माँ का दुख इतना प्रामाणिक था।

(ग) कवि इस पक्ति में कहते हैं के जो तुम्हें नहीं मिला उसे सोचकर मत दुखी हो और उसे भूलकर भविष्य के बारे में सोचो, उसे सुन्दर बनाने के बारे में सोचो । कवि अपनी बुद्धि का प्रयोग कर बीती बातो की भूलने को कहते है क्योंकि बीती बाते याद करके केवल दुख की प्राप्ति होगी और आने वाले भविष्य मे हमें सुखी बनाने का प्रयास करने को कहते हैं ताकि भविष्य में सुख से रह सके। इस प्रकार इस कथन में कवि की वेदना और चेतना व्यक्त हो रही है।

(घ) राम ने यह पक्ति तब कही थी जब परशुराम क्रोधित होकर सभा में आए और पूछने लगे कि शिवजी का धनुष किसने तोड़ा। श्री राम का उत्तर उनके विनम्र स्वभाव को दर्शाता है। वह स्थिर बुद्धि के थे। उनमें सहजता और सरलता के गुठ विद्यमान थे। उनके वचनों मे’ जल के समान शीतलता थी। 

(ड़) परशुराम स्वभाव से क्रोधी थे, और अपनी साहस व बल पर अभिमान करते थे। 

जब उन्हें शिव जी के धनुष के टूटने का पता चलता है तो वे क्रोधित होकर सभा में आते है और धनुष तोड़ने वाले को समाज से अलग होने का आह्वान देते है अन्यथा सारे राजाओं को मारने की बात करते है। 

परशुराम अपने साहस और बल का बखान करते हुए कहते है। कि उन्होंने अपनी भुजाओं के बल से अनेक बार पृथ्वी को राजाओं से रहित  करके ब्राह्मणों को दान में दिया है और उनका फरसा तो आवाज से गर्भो के बच्चों का नाश करने वाला है। 

 

उत्तर 13. यह कथन पाठ साना-साना हाथ जोडी में एक फौजी कहा था जब लेखिका ने उनसे पूछा था कि इतनी ठंड में वे वहाँ कैसे रहते थे। 

इस कथन से हमें पता चलता है कि फौजी अपने देश और देशवासियों के भविष्य के लिए निस्वार्थ भाव से अपना आज को ठुकरा  देते है। फौजी जवान ऐसे स्थानों पर दिन – रात पहरा देते है जो आम-जनता के लिए अत्यंत विषत है। ऊँचे-ऊँचे बर्फीले पहाड़ो पर जहा  पेट्रोल के सिवाय सब कुछ जम जाता है, यह जवान वह तैनात रहते हैं रेगिस्तान के गर्मी के दिनों में तपा देने वाली धूप में भी यह तैनात रहते है और हॉफ हाफकर अनेक विषमताओं का सामना करते है । इन्हें लगातार दुश्मनों का सामना करना पड़ता है। ये अपना कार्य अपने परिवारों से दूर रहकर करते हैं। ये जवान हमारे देश का गौरव और प्रतिष्ठा करने वाले महारथी है अत: हमारा यह फर्ज बनता है कि हम उन्हें मान दें, सम्मान दे। इनके परिवारों के प्रति आत्मीय संबंध बनाए रखें। फौजी जवान सीमाओं पर तैनात है- इस तथ्य को जानते हुए देश के लोग चैन की नींद सो पाते है इसलिए हम इतना तो कर ही सकते है कि जवानों के गर्म कपड़े भिजवाए , दवाइया भिजवाय हैं इन्हे  सम्मानित करे। 

खण्ड – घ 

 

उत्तर 14. आतंकवाद 

बढ़ता आतंकवाद :- आतंकवाद आज का सबसे बहुप्रचालित शब्द है। यह शब्द सुनते ही हमारे दिमाग मे बम विस्फोट, पिस्तौल धारी लोगों की छवियों मस्तिष्क में कौधती हैं। समाज में आतंकवाद आज इतना बढ़ गया है कि इस बात का भी भरोसा जा रह गया है घर से निकलने के बाद हम घर पहुंच भी पाएंगे या नहीं। आतंकवाद केवल बम विस्फोट करना ही नहीं बल्कि जाति, धर्म आदि के जान पर होने वाले झगड़े भी आतंकवाद के अंतर्गत आते है।मनुष्यता के खिलाफ़ आतंकवाद 

भारत में आतंकवाद- आज भारत में भी आतंकवाद की बढ़ोत्तरी हुई है। आए दिन समाचार पत्रों और दूरदर्शन पर किसी न किसी आतंकवादी के पकड़े जाने की खबरें आती रहती है और सीमाओ में घुसपैठ की सीमाओं पर धुसपैठ रोकने में हमारे देश के फोजियो का योगदान रहता पर अनेको सैनिक मारे भी जाते है जिससे हमारा मन आक्रांत रहता है बंबई के ताज होटल मैं बम विस्फोट, दिल्ली में संसद सदन पर आतंकवादी हमला हमें याद दिलाते हैं कि आतंकवाद हमारे देश को  कितनी चोट पहुंचाई हैं। हमने कितने अपनों को खोया है आतंकवाद की हानि में हमारे प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ़ जो मुहिम छेड़ी है, आशा है इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएँगी परंतु तब तक हमें एक साथ मिलकर एक दूसरे की सहायता करके रहना होगा। 

विश्व स्तर पर आतंकवाद :- केवल भारत में ही नहीं विश्व स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ आवाज दृढ़ हुई है । फ्रांस, अमरीका, इराक, सीरिया हर देश में आतंकवादी गतिविधियों ने जोर पकड़ रखा है। सभी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एक होने का आहवान दिया है। 

आतंकवादियों के लिए कोई किसी देश का नही है उनका कार्य तो केवल आतंक फैलाना मनुष्यता का विनाश करना है। पाकिस्तान के स्कूली बच्चों को मारकर आतंकवादियों ने यह सिद्ध कर दिया कि के किसी धर्म के नही । आतंकवाद से लड़ने का केवल एक उपाय है और वह हैं विश्व के देशो में आपसी सौहार्द जब तक सब लोग एक साथ है हमारी शक्ति उतनी ही अधिक है और आतंकवाद को इस अविभाज्य मानव संस्कृति को विभाजित करने के सभी उपाय बेकार हो जाएँगे। 

 

उत्तर 15. परीक्षा भवन 

अ.ब. स नगर 

दिनांक : 10 मार्च 20xx 

पूजनीय माना जी 

सादर चरण स्पर्श 

आपका पत्र मिला। पत्रोत्तर में विलम्ब के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हुं पिछले एक माह से हम विद्यालय में होने वाले संगीत समारोह की तयारियो में व्यस्त थे इसलिए आपके पत्र का उत्तर नहीं दे पाया।

गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी हमारे विद्यालय मे संगीत समारोह आयोजित किया गया और हमारे विद्यालय को दुल्हन की तरह सजाया गया। विशिष्ट आतथियों में प्रसिद्ध शहनाई वादक एवं अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। 

समारोह का आरंभ सरस्वती वंदना से हुआ। इसके बाद अनेक प्रकार के कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई थी हमारे संगीत के शिक्षक के साथ कुछ विद्यार्थियों ने बहुत बेहतरीन गायक व वादन पेश करके  माहौल को संगीतमय बना दिया सभी कार्यक्रमों का आधार था हमारे देश के प्रसिद्ध शहनाईवायक उस्ताद बिम्मल्ला खा को श्रद्धांजलि देना । तत्पश्चात प्रधानाचार्य ने सभी विद्यार्थियों के कार्य के और मेहनत को सराहा ओर उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ को श्रद्धांजलि देने के बाद इस संगीतमय रात्रि का समापन हो गया। पिता जी की मेरा प्रणाम और रोहन को प्यार । 

आपकी पुत्री 

क.छ.ग 

 

 

उत्तर 16. शीर्षक – मनुष्य और पशुत्व 

सार – नाखूनों का बढ़ना मनुष्य में इसी प्रकार पशुत्व का द्योतक है जिस  प्रकार अस्त्र-शस्त्रो का बढ़ना है जीवन में। मनुष्य की घृणा पशुत्व को जन्म देती है जबकि दूसरों का आदर करना व अपने को संयत रखना मनुष्यता को। जिस दिन मनुष्य द्वारा मारणास्त्रों का प्रयोग बंद हो जाएगा उस दिन उसका पशुत्व का अंत हो जाएगा।

Hindi 10th Previous Year Question Paper 2018 (CBSE)

हिन्दी 

HINDI (पाठ्यक्रम अ) 

(Course A) 

सामान्य निर्देश : 

(i) इस प्रश्न-पत्र में चार खंड हैं – क, ख, ग और घ । 

(ii) चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है। 

(iii) यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए। 

खंड ‘क’ 

Q. 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

महात्मा गांधी ने कोई 12 साल पहले कहा था – 

मैं बुराई करने वालों को सजा देने का उपाय ढ़ूँढ़ने लगूं तो मेरा काम होगा उनसे प्यार करना और धैर्य तथा नम्रता के साथ उन्हें समझाकर सही रास्ते पर ले आना । इसलिए असहयोग या सत्याग्रह घृणा का गीत नहीं है । असहयोग का मतलब बुराई करने वाले से नहीं, बल्कि बुराई से असहयोग करना है । 

आपके असहयोग का उद्देश्य बुराई को बढ़ावा देना नहीं है । अगर दुनिया बुराई को बढ़ावा देना बंद कर दे तो बुराई अपने लिए आवश्यक पोषण के अभाव में अपने-आप मर जाए । अगर हम यह देखने की कोशिश करें कि आज समाज में जो बुराई है, उसके लिए खुद हम कितने ज़िम्मेदार हैं तो हम देखेंगे कि समाज से बुराई कितनी जल्दी दूर हो जाती है । लेकिन हम प्रेम की एक झूठी भावना में पड़कर इसे सहन करते हैं । मैं उस प्रेम की बात नहीं करता, जिसे पिता अपने गलत रास्ते पर चल रहे पुत्र पर मोहांध होकर बरसाता चला जाता है, उसकी पीठ थपथपाता है ; और न मैं उस पुत्र की बात कर रहा हूँ जो झूठी पितृ भक्ति के कारण अपने पिता के दोषों को सहन करता है । मैं उस प्रेम की चर्चा नहीं कर रहा हूँ। मैं तो उस प्रेम की बात कर रहा हूँ, जो विवेकयुक्त है और जो बुद्धियुक्त है और जो एक भी गलती की ओर से आँख बंद नहीं करता । यह सुधारने वाला प्रेम है । 

(क) गांधीजी बुराई करने वालों को किस प्रकार सुधारना चाहते हैं ? 

(ख) बुराई को कैसे समाप्त किया जा सकता है ? 

(ग) ‘प्रेम’ के बारे में गाँधीजी के विचार स्पष्ट कीजिए। 

(घ) असहयोग से क्या तात्पर्य है ? 

(ङ) उपयुक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए। 

 

Q. 2. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

तुम्हारी निश्चल आँखें 

तारों-सी चमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश में 

प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता है 

ज़रूर दिखाई देती होंगी नसीहतें 

नुकीले पत्थरों-सी 

दुनिया भर के पिताओं की लंबी कतार में 

पता नहीं कौन-सा कितना करोड़वाँ नंबर है मेरा 

पर बच्चों के फूलोंवाले बगीचे की दुनिया में 

तुम अव्वल हो पहली कतार में मेरे लिए 

मुझे माफ़ करना मैं अपनी मूर्खता और प्रेम में समझता था | 

मेरी छाया के तले ही सुरक्षित रंग-बिरंगी दुनिया होगी तुम्हारी 

अब जब तुम सचमुच की दुनिया में निकल गई हो 

मैं खुश हूँ सोचकर कि मेरी भाषा के अहाते से परे है तुम्हारी परछाई ।

(क) बच्चे माता-पिता की उदासी में उजाला भर देते हैं – यह भाव किन पंक्तियों में आया है ? 

(ख) प्राय: बच्चों को पिता की सीख कैसी लगती है ? 

(ग) माता-पिता के लिए अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ क्यों होता है ? 

(घ) कवि ने किस बात को अपनी मूर्खता माना है और क्यों ? 

(ङ) भाव स्पष्ट कीजिए : ‘प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता।’ 

 

खंड ‘ख’ 

Q. 3. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए । 

(क) बालगोबिन जानते हैं कि अब बुढ़ापा आ गया। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए) 

(ख) मॉरीशस की स्वच्छता देखकर मन प्रसन्न हो गया । (मिश्र वाक्य में बदलिए) 

(ग) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटे हुए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे। (सरल वाक्य में बदलिए) 

 

Q. 4. निर्देशानुसार वाक्य बदलिए। 

(क) मई महीने में शीला अग्रवाल को कॉलेज वालों ने नोटिस थमा दिया। (कर्मवाच्य में) 

(ख) देशभक्तों की शहादत को आज भी याद किया जाता है। (कर्तृवाच्य में) 

(ग) खबर सुनकर वह चल भी नहीं पा रही थी। (भाववाच्य में) 

(घ) जिस आदमी ने पहले-पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा। (कर्तृवाच्य में) 

 

Q. 5. गहरे पदों का पद-परिचय लिखिए । 

अपने गाँव की मिट्टी छूने के लिए मैं तरस गया। 

 

Q. 6. (क) ‘रति’ किस रस का स्थायी भाव है ? 

               (ख) ‘करुण’ रस का स्थायी भाव क्या है ? 

               (ग) ‘हास्य’ रस का एक उदाहरण लिखिए । 

               (घ) निम्नलिखित पंक्तियों में रस पहचान कर लिखिए : 

मैं सत्य कहता हूँ सखे ! सुकुमार मत जानो मुझे, 

यमराज से भी युद्ध को प्रस्तुत सदा मानो मुझे। 

 

खंड ‘ग’ 

 

Q. 7. निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे, और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए । महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है; वरना तो देशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है। 

दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुज़रे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया । ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है। 

(क) हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का कौन-सा प्रयास सराहनीय लगा और क्यों ? 

(ख) ‘देशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है।’ – इस पंक्ति में देश और लोगों की किन स्थितियों की ओर संकेत किया गया है ? 

(ग) दूसरी बार मूर्ति देखने पर हालदार साहब को उसमें क्या परिवर्तन दिखाई दिया ? 

 

Q. 8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

(क) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में किन सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया गया है ? 

(ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी शिक्षा प्रणाली में संशोधन की बात क्यों करते हैं ? 

(ग) ‘काशी में बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्लाखाँ एक-दूसरे के पूरक हैं’ – कथन का क्या आशय 

(घ) वर्तमान समाज को संस्कृत’ कहा जा सकता है या ‘सभ्य’ ? तर्क सहित उत्तर दीजिए। 

 

Q. 9. निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

हमारे हरि हारिल की लकरी। 

मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी । 

जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री। 

सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी । 

सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी । 

यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी । 

(क) ‘हारिल की लकरी’ किसे कहा गया है और क्यों ? 

(ख) ‘तिनहिं ले सौंपौ’ में किसकी ओर क्या संकेत किया गया है ? 

(ग) गोपियों को योग कैसा लगता है ? क्यों ? 

 

Q. 10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

(क) जयशंकर प्रसाद के जीवन के कौन से अनुभव उन्हें आत्मकथा लिखने से रोकते हैं ? 

(ख) बादलों की गर्जना का आह्वान कवि क्यों करना चाहता है ? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 

 

(ग) ‘कन्यादान’ कविता में व्यक्त किन्हीं दो सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख कीजिए। 

(घ) संगतकार की हिचकती आवाज उसकी विफलता क्यों नहीं है ? 

 

Q. 11. “आज आपकी रिपोर्ट छाप दूं तो कल ही अखबार बंद हो जाए” – स्वतंत्रता संग्राम के दौर में समाचार पत्रों के इस रवैये पर ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’ के आधार पर जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग 150 शब्दों में चर्चा कीजिए। 

अथवा 

Q. 11.’मैं क्यों लिखता हूँ’, पाठ के आधार पर बताइए कि विज्ञान के दुरुपयोग से किन मानवीय मूल्यों की क्षति होती है ? इसके लिए हम क्या कर सकते हैं ? 

 

खंड ‘घ’ 

 

Q. 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए : 

(क) महानगरीय जीवन 

  • विकास की अंधी दौड़ 
  • संबंधों का ह्रास 
  • दिखावा 

(ख) पर्वो का बदलता स्वरूप 

  • तात्पर्य 
  • परंपरागत तरीके 
  • बाजार का बढ़ता प्रभाव 

(ग) बीता समय फिर लौटता नहीं 

  • समय का महत्त्व 
  • समय नियोजन 
  • समय गँवाने की हानियाँ 

 

Q. 13. आपके क्षेत्र के पार्क को कूड़ेदान बना दिया गया था । अब पुलिस की पहल और मदद से पुन: बच्चों के लिए खेल का मैदान बन गया है । अत: आप पुलिस आयुक्त को धन्यवाद पत्र लिखिए । 

अथवा 

Q. 13.पटाखों से होने वाले प्रदूषण के प्रति ध्यान आकर्षित करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए । 

 

Q. 14. पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। 

अथवा 

Q. 14.विद्यालय के वार्षिकोत्सव के अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा निर्मित हस्तकला की वस्तुओं की प्रदर्शनी के प्रचार हेतु लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन लिखिए । 

 


Answer Sheet 

खंड- ‘क’ 

उत्तर 1. वाद्यांश 

(क) गाँधीजी बुराई करने वालों को प्यार करना चाहते थे तथा धैर्य और नम्रता के साथ समझाकर उन्हें सही रास्ते पर लाना चाहते थे। 

(ख) अगर दुनिया बुराई को बढ़ावा देना बंद कर दे तो बुराई के लिए आवश्यक पोषण अभाव में अपने – आप मर जायगे और बुराई समाप्त हो जाएगी।

(ग) गाँधीजी कहते है कि प्रेम की एक झूठी भावना में पड़कर हम बुराई सहन करते हैं। वह उस प्रेम की बात नहीं कर रहे जिसे पिता गलत रास्ते पर चल रहे अपने पुत्र की पीठ थपथपाता है। वह उस प्रेम की बात कर रहे हैं जो विवेकयुक्त हैं, बुद्धियुक्त है और एक गलती की ओर से भी आँख बंद नहीं करता। यह सुधारने वाला प्रेम है। 

(घ) असहयोग का मतलब बुराई करने वालों से नहीं, बल्कि बुराई का असहयोग करना है। 

(ड) उपर्युक्त साधांश का शीर्षक होना चाहिए ‘गाँधीजी के विचार’। 

 

उत्तर 2. पधांश 

(क) बच्चे का माता-पिता को उदासी में उजाला भर देने का भाव निम्नलिखित पंक्ति में आया है: तुम्हारी निश्चल आँखें 

तारों-सी चमकती है. मेरे अकेलेपन को रात के आकाश में। 

(ख) बच्चों को माता-पिता को सीख नुकीले पत्थरों  जैसा लगता है। 

(ग) माता-पिता के लिए अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ इसलिए होता है क्योंकि वह दुनियाभर में पिताओं की लंबी कतार और उन्हें अपना संतान करोड़ों नंबर के बाद मिलती है और बच्चों की दुनिया में अपने बच्चे का स्थान सर्वश्रेष्ठ होता है। 

(घ) कवि को ऐसा प्रतीत होता था कि उसके सानिध्य तथा उसका छत्रछाया में हो उसके बच्चे का जीवन और उसकी रंग-बिरंगी दुनिया सुरक्षित है इस बात को कवि ने अपनी सूखेता बताया है। 

(ड) इस पंक्ति का यह अर्थ है कि पिता अपने बच्चे के गमले के लिए कभी – कभी उसको नसीहतें न देते हैं या डॉट भी देते परंतु बच्चों को पिता की इस डाँट में उनका प्रेम नहीं दिखाई देता है। 

खंड-‘ख’ 

उत्तर 3. (क)आश्रित उपवाक्य- अब बुढ़ापा आ गया 

भेद – संज्ञा आश्रित उपवाक्य 

(ख) जब मैंने मॉरीशस की स्वच्छता देखो तब मेरा मन प्रसन्न हो जाया – 

(ग) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे।

 

उत्तर 4. (क) मई महीने में कॉलेज वालों के द्वारा शीला अग्रवाल को नोटिस थमा दिया गया था

(ख) देशभक्तों की शहादत आज भी याद की जाती है। 

(ग) खबर सुनने के कारण उससे चला भी नहीं जा रहा था। 

(घ) पहले-पहल आग का आविष्कार करने वाला आदमी कितना बड़ा आविष्कतो होगा । 

 

उत्तर 5. पद- परिचय

गाँव की – जातिवाचक संज्ञा, संबंध कारक, एकवचन, 

मिट्टी – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन 

मैं– उत्तमपुरुषवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन,  कर्ता कारक 

तरस गया – अकर्मक क्रिया, भूत काल 

 

उत्तर 6. (क) शृंगार रस 

             (ख) शोक 

              (ग) ‘हास्य रस – ‘सरकंडे से हाँथ पाँव मटके जैसो पेट पास पिचके – पिचके गाल दोऊ, मुँह तो देखो। इंडिया गेट। 

 

             (घ) वीर रस 

खंड-ग 

उत्तर 7.जब हालदार साहब चौराहे पर रूकते तो वहाँ लगी नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी की मूर्ति को देखा करते थे। मूर्ति तो संगमरमर की थी परन्तु उस पर चश्मा असली लगा था। उन्हे लगा कि शायद मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया और वहाँ के नागरिकों ने असली चश्मा लगा दिया। हालदार साहब को यही प्रयास सराहनीय लगा।

(ख) इस पंक्ति में यह बताया गया है कि आजकल लोगों के मन देशभक्तों के लिए सममन की भावना नहीं रही। आजकल लोग देशभक्ति को भूलते जा रहे है, वे देशभक्ति को पागलपन करते है और देशभक्ति महत्वपूर्ण नहीं है केवल अपना स्वार्थ महत्वपूर्ण है। 

(ग) दूसरी बार देखने पर लेखक को मूर्ति की आँखों पर नया चश्मा लगा हुआ मिला।

 

उत्तर 8. (क) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में बालगोबिन भगत ने अपनी पुत्रवधु से अपने बेटे को मुखग्नि दिलाई जबकि स्त्रियों को अंतिम संस्कार करने की आज्ञा नहीं दी जाती है। भगत ने उसके पश्चात् अपनी पुत्रवधु का पुनर्विवाह करने का निश्चय किया जबकि समाज में विधवा स्त्री के पुनर्विवाह का प्रचलन नहीं है। 

(ख) स्त्री शिक्षा विरोधियों ने जब प्राचीन काल में स्त्रियों के लिए कोई शिक्षा प्रणाली न बताकर स्त्रियों को शिक्षित करने में लिए रोक तब महावीर जी ने कहा कि अतीत में स्त्रियों की कोई शिक्षा प्रणाली नहीं तो क्या हुआ आज के युग में स्त्रियों को शिक्षा की आवश्यकता है और शिक्षा प्रणाली में संशोधन के बाद स्त्री और पुरूष दोनों ही शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।

(ग) इस कथन का यह आशय है कि काशी के बाबा विश्वनाथ और विस्मिल्लाखाँ एक दूसरे के बिना  अधूरे है क्योंकि बिस्मिल्लाखाँ के दिन की शुरूआत बाबा विश्वनाथ मंदिर की ड्योढी पर शहनाई बनाने से होती थी यदि वे काशी से बाहर होते थे तो वे अपनी शहनाई का प्याला विश्वनाथ मंदिर की ओर करके बजाते थे और सफलता और ऊँचाई प्राप्त करने के बाद भी वे काशी और विश्वनाथ मंदिर को छोडकर नहीं गए।

(द्य) वर्तमान समाज को ‘सभ्य’ कहा जा सकता है क्योंकि हमारे समाज में जो भी उन्नति हो रही है वह सब हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए आविष्कार, अनुसंधान के कारण ही है। प्राचीन काल में आग की खोज हुई, सुई-धागे का आविष्कार हुआ, गुरूत्वाकर्षण के नियमों से हमें अवगत कराया गया इत्यादि इन सब आविष्कार और खोज के कारण ही हम नई नई चीजें बना पाए और लगातार उन्नति की ओर अग्रसर है अतः हम अपने पूर्वजों से सभ्य है पर उनसे ज्रूादा संस्कृत नहीं।

 

उत्तर 9. (क) ‘हारिल की लकरी’ भगवान श्री कृष्ण को कहा गया है जिस प्रकार हारिल पक्षी सदैव अपने पैरों में लकड़ी दबाए रहता है उसी प्रकार गोपियों ने भी श्री कृष्ण को अपने मन में बसा रखा है। 

(ख) ‘तिनहीं लै सौपौ’ में उनकी ओर संकेत किया गया है जिनके मन चकरी के समान चंचल है व अस्थिर है। 

(ग) गोपियों को योग कडवी ककडी के समान लग रहा है जिसके बारे में उन्होने न तो पहले कभी सुना और न ही देखा। 

 

उत्तर 10. (क) कवि जयशंकर प्रसाद ऐसा मानते है कि उन्होने अपने जीवन में कुछ महान कार्य नहीं किया है जिसके बारे में पढ़कर लोग उससे प्रेरणा लेंगे, वह अपने जीवन में हुए छलकपटतापूर्ण व्यवहार के बारे में बतानी नहीं चाहते है और उन्हे ऐसा लगता है कि उनके खाली जीवन के बारे में पढ़कर लोग शायद उनकी हँसी उड़ाए अतः वे आत्मकथा नहीं लिखना चाहते है। 

(ख) गर्मी और ऊष्मा से परेशान लोग बादलों का इंतजार कर रहे है। बादलों की गर्जना से लोगों के मान में बारिश के लिए उत्साह भर जाएगा और गर्जना में सृष्टि के नवनिर्माण की शक्ति होती है और गर्जना के पश्चात् वे बारिश करके सबको शीतलता प्रदान करते है। 

(ग) ‘कन्यादान’ कविता में स्त्री को ससुराल पक्ष द्वारा दहेज के लालच में आग से जला देने के बात की गई है और पुरूष प्रधान समाज द्वारा स्त्री को वस्त्र आभूषणों के बंधन में बाँध कर उसकी सरलता और कोमलता का फायदा उठाकर उस पर अत्याचार किया जाता है। 

(द्य) संगत कार जानबूढ कर अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से धीमा रखता है क्योंकि वह चाहता है कि श्रोतागणों के बीच मुख्य गाय के संगीत उसके गायन का सिक्का जमा रहे उसका स्वयं पृष्ठभूमि में रहना और मुख्य गायक को मुख्य कलाकार बने रहने देना उसकी मनुष्यता का परिचायक है विफलता का नहीं।

 

उत्तर 11. (ख) ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में विज्ञान के दुरुपयोग का वर्णन किया गया है। इस पाठ में यह बताया गया है कि किस प्रकार अणु बम, परमाणु हथियार का आविष्कार मानव जाति के समूल नाश का कारण बन सकता है। अस्पताल में लेखक द्वारा देखे गए परमाणु हथियारों के प्रकोप का कष्ट झेलते मरीज़ों का दृश्य हमारी आत्मा को झकझोर देता है और जले हुए पत्थर पर मनुष्य के शरीर की उजली छाया हमारे शान व हमारी मानवता पर करारा प्रहार करता है। मनुष्य परोपकार मूल कर स्वार्थ को अपनाता है यदि यह सब विज्ञान के और मानवीय बुद्धि का परिणाम है तो ऐसी  बुद्धिमता का क्या लाभ जो मनुष्य से मनुष्य को मारना सिखाए। इस विषय पर हमें गहन विचार करने की आवश्यकता है हमें सभी व्यक्तियों को सुशिक्षा देनी चाहिए और लोगों को प्रेम , सद्भावना व मानवता का पाठ पढ़ाना चाहिए। हमें बच्चों को बचपन से ही अच्छी बात बतानी चाहिए तथा हम इस संसार में फेल रही अहिंसा को दूर कर पाएँगे और सदभावना का पाठ पूरे संसार को पढ़ा पाएंगे। 

खंड-‘घ’ 

 

उत्तर 12. निबंध लेखन – 

(क) महानगरीय जीवन  

विकास की अंधी दौड़ – आज प्रत्येक व्यक्ति महानगर में बसना चाहता है और इसका मुख्यत: कारण विकास की कामना लोगों को ऐसा प्रतीत होता है कि महानगरों में ही उन्हें सभी सुविधाएँ प्राप्त होगी उनका जीवन सुधर जाएगा और इसी धारणा के चलते आज के वर्तमान युग में महानगरों में रहने तथा महानगरों को बसाने की होड़ गई है और इसी विकास को अंधी दौड़ के कुछ दुष्परिणाम भी है जैसे पर्यावरण की हानि। यदि विकास के चलते हम अपने ही पर्यावरण अपनी ही धरती को नुकसान पहुंचाएंगे तो ऐसे विकास का क्या लाभ। माना कि विकास हमारे देश की उन्नति के लिए अति आवश्यक है परंतु इस विकास के लिए अपने देश का पर्यावरण को क्षति पहुँचना कितना तर्कसंगत है। 

संबंधों का हास – महानगरीय जीवन भगा – दौड़ी का जीवन है और इस भगा -दौड़ी के चलते हमें सिर्फ पैसा कमाने से मतलब और सभी प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त करना, ही हमारे जीवन का लक्ष्य बनकर रह जाता है। इस व्यस्त जीवनशैली के चलते हम अपने पारिवारिक संबंधों पर ध्यान नहीं दे पाते और हमारे पारिवारिक संबंधों में लगा गर्मजोशी न होने के कारण रिश्ते फीके से पड़ने लगते है। महानगरों में रह रहा व्यक्ति अपने आस- पड़ोस से भी ज्यादा धूलता मिलता नहीं है रिश्तों को कायम रखने के लिए मेल-मिलाप , बातचीत अति आवश्यक है परंतु काम कि बोझ के चलते लोगों को एक दूसरे के साथ उठने बैठने घुलने तथा मिलने का समय भी नहीं मिल पाता है। 

दिखावा – ग्रामीण जीवनशैली के बजाय शहरों जीवनशैली में दिखावा प्रवृत्ति अधिक है महानगर में रह रहे व्यक्तियों को हमेशा एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी रहती है यदि एक व्यक्ति आर्थिक रूप से उतना सक्षम नहीं है कि वह चार पहिया वाहन खरीद सके फिर भी वह दूसरों की देखादेखी में वह अपनी आर्थिक स्थिति नहीं देखता परंतु अपने शौकों को पूरा करने की इच्छा करने लगता है जो उसके लिए हानिकारक होती है। ग्रामीण जीवन में सरलता होती है सबका, सिद्धांत – ‘सादा, जीवन उच्च विचार होता है परंतु शहरों के जीवन में एक बनावटीपन होता है और मनुष्य अपने सुखों को प्राप्त करने के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देता है और दुसरो की बराबरी करने के चलते वह अपने जीवन को ठीक से जीना भूल जाता है और जीवन के मुख्य लक्ष्य- ‘जो कि उसे खुशकर होकर जीना है। उसे कभी प्राप्त नहीं कर पाता है। 

 

उत्तर 13. औपचारिक पत्र 

सेवा में, 

           पुलिस अधीक्षक आयुक्त 

           पुलिस चौकी  

           क ख ग नगर 

विषय:- आपकी सहायता से पार्क की स्वच्छ करवाने हेतु धन्यवाद पत्र।  

मान्यवर 

मैं आपके क्षेत्र का नागरिक हूँ और मैंने अपने क्षेत्र के खेल के मैदान को समस्या के बारे में आपकी पुलिस चौकी में आकर बताया था कि लोगों ने कूड़ा और सारी गंदगी पार्क में फेंककर उसे उसकी सुंदरता को नष्ट कर दिया और अब बच्चों के खेलने के लिए भी कोई स्थान नहीं बचा । आपके द्वारा मेजी गई पुलिस फोर्स ने पार्क की सफाई का कार्य शुरु करवाया और लोगों को कड़े आदेश दिए कि वे पार्क में गंदगी न फैलाएँ। 

आपने और सभी पुलिस बल ने हमारी बहुत सहायता की और पार्क को बच्चों के खेलने का स्थान दोबारा से बनाने के लिए आप सबकी बहुत धन्यवाद। 

भवदीय 

एक जागरुक नागरिक 

अ.ब.स 

दिनांक- 09-07-2019 

 

उत्तर 14. विज्ञापन 

हमारा पर्यावरण हमारी ज़िम्मेदारी है यदि हम पेड़ो को काटेगे, कूचरा इधर- उधर फेकेंगे कूड़ेदान में नहीं डालेंगे तो हमारे देश की स्वच्छता बरकरार नहीं रहेगी । हम एक सब तो आइए प्रण लें कि आज से हम कभी भी अपने पर्यावरण को नुकसान नही पहुँचाएँगे और, खाली पड़ी ज़मीन पर पौधे लगाएंगे और अपने घर, आस-पड़ोस के आसपास की जगह साफ रखेंगे और देश को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान देंगे। 

 

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