Hindi 10th Previous Year Question Paper 2019 SET-III (CBSE)

हिन्दी

खण्ड ‘क’

प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों का उत्तर  लिखिए। 

आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है बाल्यावस्था में ही शौक हानिकारक है दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उन में अश्लीलता,  अन आस्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। छोटे बालक मानसिक रुप से परिपक्व नहीं होते। इसमें भेजो भी देखते हैं उनका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वैसी ही अपना लेते हैं  समाज शास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज के चारों ओर फैली बुराइयों का एक बड़ा कारण है। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है । बिना समय की पाबंदी के घटकों दूरदर्शनबिल्कुल गलत है।  कैसे मान सकता विकास रुक जाता है, नजर कमजोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है। 

(क)  आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है?

(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव केंद्र अधिक पड़ता है और क्यों?

(ग)  दूरदर्शन के क्या-क्या दुष्प्रभाव है?

(घ) ‘ बाल्यावस्था’ शब्द का संधि विच्छेद कीजिए। 

(ड) उपन्यास के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 

उत्तर: (क) आजकल दूरदर्शनओं के धारावाहिकों का स्तर का घटता जा रहा है उसमें दर्शकों को अश्लीलता, अनास्था, फैशन लता नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। 

(ख)  दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बालकों पर पड़ता है क्योंकि वह मानसिक रूप से परिपक्व होता है।  वे जो इस छोटी उम्र में देखते हैं उसका प्रभाव उन पर अधिक पड़ता है। 

(ग)  दूरदर्शन के कई दुष्प्रभाव है जैसे इससे समाज में फैली बुराइयों को बढ़ावा मिलता है।  इससे आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है। नजर कमजोर पड़ती है घंटो दूरदर्शन देखने से समय की पाबंदी कट जाती है। 

(घ) ‘बाल्यावस्था’ का संधि विच्छेद बाल +अवस्था है

(ड़) उपयुक्त का शीर्षक दूरदर्शन के प्रभाव।

 

प्रश्न 2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और  पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

कोलाहल हो, 

या सन्नाटा, कविता सदा सृजन करती है, 

जब भी आँसू 

हुआ पराजित, कविता सदा जंग लड़ती है। 

जब भी कर्ता हुआ अकर्ता, 

कविता ने जीना सिखलाया 

यात्राएँ जब मौन हो गईं 

कविता ने चलना सिखलाया 

जब भी तम का 

जुल्म चढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है, 

जब गीतों की फसलें लुटती 

शीलहरण होता कलियों का, 

शब्दहीन जब हुई चेतना 

तब-तब चैन लुटा गलियों का 

जब कुर्सी का 

कंस गरजता, कविता स्वयं कृष्ण बनती है। 

अपने भी हो गए पराए

यूँ झूठे अनुबंध हो गए 

घर में ही वनवास हो रहा 

यूँ गूंगे संबंध हो गए।

(क) कविता कैसी परिस्थितियों में सूजन करती है? स्पष्ट कीजिए। 

(ख) भाव समझाइए जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है।’ 

(ग) गलियों का चैन कब लुटता है?

(घ) “परस्पर संबंधों में दरियाँ बढ़ने लर्गी-यह भाव किस पंक्ति में आया है? 

(ङ) कविता जीना कब सिखाती है? 

अथवा 

जो बीत गई सो बात गई 

जीवन में एक सितारा था, 

माना, वह बेहद प्यारा था, 

वह डूब गया तो डूब गया। 

अंबर के आनन को देखो, 

कितने इसके तारे टूटे 

कितने इसके प्यारे छूटे, 

जो छूट गए फिर कहाँ मिले; 

पर बोलो टूटे तारों पर, 

कब अंबर शोक मनाता है? 

जो बीत गई सो बात गई। 

जीवन में वह था एक कुसुम, 

थे उस पर नित्य निछावर तुम, 

वह सूख गया तो सूख गया; 

मधुबन की छाती को देखो, 

सूखी कितनी इसकी कलियाँ, 

मुरझाई कितनी बल्लरियाँ, 

जो मुरझाई फिर कहाँ खिल, 

पर बोलो सूखे फूलों पर, 

कब मधुबन शोर मचाता है? 

जो बीत गई तो बात गई। 

(क) जो बीत गई सो बात गई से क्या तात्पर्य है। स्पष्ट कीजिए। 

(ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए, और क्यों? 

(ग) “सूखे फूल’ और ‘मधुबन के प्रतीकार्य स्पष्ट कीजिए। 

(घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है? 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा किसे माना होगा? 

उत्तर: (क) कविता हमेशा ही कठिन परिस्थितियों को हमारे अनुकूल कर नए पथ का सृजन करती है। जब आँसू पराजित हो जाते हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों से जंग लड़ती है। जब कर्ता हताश हो जाता है तो उसमें नई उमंग भरती है। कविता एक ऐसे नए सूरज को निर्माण करती है जो नया सवेरा लाता है। 

(ख) “जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है-को भाव यह है कि जब-जब अंधेरा अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियाँ अपने चरम पर होती हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा इन प्रतिकूल अंधकारमय परिस्थितियों को अपने पथ प्रदर्शक शब्दों द्वारा नया सूर्य दिखाकर उन्हें प्रतिकूल बनाती है। 

(ग) गलियों का चैन शब्दहीन निर्दय चेतना द्वारा लुटता है। 

(घ) परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगी :- यह भाव अपने भी हो गए पराए में आया है। 

(ङ) जब कर्ता अकर्ता हो जाता है अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियों के समक्ष हार जाता है तो कविता उसे जीना सिखाती है। 

अथवा 

(क) जो बीत गई सो बात गई से तात्पर्य है कि जो बीत गया वो हमारा कल था और वह दोबारा नहीं आएगा। अतीत के दुःखों को याद कर रोने से कोई लाभ नहीं। 

(ख) अंबर की ओर रात्रि में देखना चाहिए, जब उसमें अनगिनत तारे होते हैं क्योंकि तारे प्रतिदिन टूटते हैं पर अंबर हमेशा ही वैसा का वैसा रहता है। चाहे नए तारे आए या पुराने टूटे। 

(ग) मधुबन का अर्थ बगीचा एवं सूखे फूल मधुबन में मुरझाए फूल।। 

(घ) टूटे तारों का शोक अंबर नहीं मनाता है। 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा हमारे जीवन का महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है जिसके इर्द-गिर्द हमारी दुनियाँ घुमती है। 

 

खण्ड ‘ख 

प्रश्न 3. निर्देशानुसार किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए- 

(क) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए) 

(ख) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य में बदलिए) 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत याद है। रेखांकित उपवाक्य का भेद बदलिए) 

(घ) कश्मीरी गेट के निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। मिश्र वाक्य में बदलिए) 

उत्तर: (क) संयुक्त वाक्य मैंने उस व्यक्ति को देखा पर वह पीड़ा से कराह रहा था। 

(ख) सरल वाक्य-परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है। 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है’-प्रधान उपवाक्य 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है-प्रधान उपवाक्य 

(घ) जहाँ कश्मीरी गेटका निकाल्सन कब्रगाह तथा वहाँ उनका ताबूत उतारा गया। 

अथवा 

(घ) उनका ताबूत उतारा गया जहाँ कश्मीरी गेट का निकत्सन कब्रगाह था। 

 

प्रश्न 3.निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-

(क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका।। (भाववाच्य में बदलिए) 

(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही चोषित कर दिया गया था। (कर्तवाच्य में बदलिए) 

(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ङ) घायत हंस उड़ न पाया। भाववाच्य में बदलिए। 

उत्तर. (क) कर्मवाच्य- बालगोबिन भगत द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थी। 

(ख) भाव वाच्य- बीमारी के कारण वह यहाँ नहीं आ सकता। 

(ग) कर्तृवाच्य-माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था। 

(घ) अवनि के द्वारा चाय बनायी गयी। 

(ङ) भाववाच्य घायल हंस उड़न सका। 

 

प्रश्न5. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए 

(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं। 

(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था। 

(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।

(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय में पूरा कर लेती है। 

(ङ) रवि रोज सवेरे दौड़ता है। 

उत्तर: (क) पढ़ती है- एकवचन, क्रिया, स्त्रीलिंग 

(ख) यहाँ- सर्वनाम, स्थानवाचक क्रिया विशेषण 

(ग) वे- बहुवचन, सर्वनाम (पुरुषवाचक), कर्ता कारक। 

(घ) परिश्रमी- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, विशेषता विशेषता स्पष्ट करता है। 

(ङ) रवि- व्यक्ति वाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक। 

 

प्रश्न 6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

(क) करुण रस का एक उदाहरण लिखिए। 

(ख) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचान कर लिखिए 

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप, 

साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप। 

घंटा भर आलाप राग में मारा गोता.

धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता। 

(क) उत्साह किस रस का स्थायी भाव है? 

(ख) वात्सल्य रस का स्थायी क्या है? 

(ग) शृंगार रस के कौनसे दो भेद हैं। 

उत्तरः करुण रस का उदाहरण उभरी नसों वाले हाथ घिसे नाखूनों वाले हाथ पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ जूही की डाल से खुशबूदार हाथ गंदे कटे-पिटे हाथ जख्म से फटे हुए हाथ खुशबू रचते हैं 

(क) हाथा 

(ख) हास्यरस 

(ग) उत्साह वीर रस का स्थायी भाव है। 

(घ) वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सल है। 

(ङ) श्रृंगार रस के दो भेद संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार 

 

खण्ड ‘ग’

प्रश्न 7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, बाबा। आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं। खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत् ! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है. लुंगिया पे नाहीं तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज हो पाता?” 

(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों? 

(ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता 

उत्तर: (क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब से कहा कि बाबा अब तो आपको बहुत प्रतिष्ठा व सम्मान मिल चुका है, फिर भी आप यह फटी हुई तहमद (लुंगी) क्यों पहनते हो? उस (शिष्या) ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि खाँ साहब इसी तहमद में ही सभी से मिलते थे और उसे यह अच्छा नहीं लगता था। 

(ख) खाँ साहब ने नम्रतापूर्वक अपनी शिष्या को समझाते हुए कहा कि मुझे भारतरत्न’ शहनाई बजाने पर मिला है, न कि लुंगी पर। मैंने बनाव सिंगार पर ध्यान न देकर अपनी साधना शहनाई पर ध्यान दिया है। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव का पता चलता है कि वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रबल समर्थक थे। वे सादगी पसंद और उन्होंने अपना सारा जीवन अपनी साधना में समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों में सच्चे कलाकार थे। 

 

प्रश्न 8. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : 

(क) दो उदाहरण दीजिए जिनसे आपको लग हो कि बालगोबिन भगत सामाजिक रूढ़ियों से न बँध कर प्रगतिशील विचारों का परिचय देते हैं।

(ख) नवाब साहब ने खीरा खाने की पूरी तैयारी की और उसके बाद उसे बिना खाए फेंक दिया। इस नवाबी व्यवहार पर टिप्पणी कीजिए।

(ग) फादर कामिल बुल्के के हिन्दी के प्रति लगाव के दो उदाहरण पाठ के आधार पर दीजिए।

(घ) मन्नू भण्डारी के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का प्रभाव किस रूप में पड़ा?

(ङ) कैसे कह सकते हैं कि “काशी संस्कृति की प्रयोगशाला” है? ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर:(क) जब बालगोबिन भगत के बेटे की मृत्यु हुई तो उन्होंने अपनी पतोहू को दूसरा विवाह करने के लिए कहा। उनके विचार से पति की मृत्यु के बाद एक स्त्री के लिए अकेले जीवन बिताना बहुत ही दुखपूर्ण और चुनौती भरा कार्य है। उनका यह व्यवहार सामाजिक रूढ़ियों से न बंधकर ऊपर उठाता है। 

भगत गृहस्थ होकर भी एक साधु की परिभाषा पर खरे उतरते थे खेतीबाड़ी करते थे और जो भी खेत में अन्न उपजता उसको सबसे पहले कबीर के मठ में ले जाते और जो भी प्रसाद रूप में मिलता उसी से गुजर बसर करते।

(ख) नवाब साहब अपनी नवाबी का दिखावा कर रहे थे। उन्होंने खीरे को पहले धोया, सुखाया, छीला और फिर फॉकों में काटकर सँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया इससे उनके दिखावटी पूर्ण जीवन का पता चलता है। कि वे खीरे को अपदार्थ और तुच्छ समझते हैं।

(ग) फादर कामिल बुल्के हिंदी वालों के द्वारा हिन्दी भाषा की उपेक्षा से बहुत दुखी होते थे। हर मंच से वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने की बात करते और हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कार्य करते। 

(घ)मन्नू भंडारी पर उनके पिता और हिन्दी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का प्रभाव पड़ा। पिता की तरह वह भी देशभक्त और आजादी के आंदोलन में भागीदारी देने वाली देशभक्त थीं। पिता की तरह ही शक्की स्वभाव और तमाम गुण मन्नू में समाहित थे।

शीला अग्रवाल ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने को कार्य किया। मन्नू को चुनिंदा उच्च साहित्यकारों की पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। साथ ही घर की चारदीवारी से बाहर निकालकर उनको आंदोलन के लिए प्रेरित किया।

(ङ) काशी संस्कृति की पाठशाला है क्योंकि काशी में संगीत की एक अद्भुत परंपरा रही है। बड़े-बड़े रसिक कण्ठे महाराज ने भी यहीं सबको संस्कृति का पाठ पढ़ाया। काशी में बाबा विश्वनाथ हैं, संकटमोचक हनुमान का मंदिर है। काशी में गंगा जमुनी संस्कृति है। इसको शास्त्रों में आनंद कानन के नाम से भी जाना जाता है। 

 

प्रश्न 9. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वकपढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 

यश है या न वैभव है, मान है न सरमायाः 

जितनी ही दौड़ातू उतना ही भरमाया। 

प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, 

हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है। 

जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन 

छाया मत छूना मन, 

होगा दुख दूना। 

(क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति से कवि किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है ? 

(ख) कवि ने यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है? 

(ग) मृगतृष्णा का प्रतीकात्मक अर्थ लिखिए। 

उत्तर (क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति में कवि यह तथ्य अवगत कराना चाहते हैं कि मनुष्य को इस यथार्थको स्वीकार कर लेना चाहिए कि जीवन में सुख-दुख का चोली दामन का साथ होता है। जीवन में केवल सुख रूपी चाँदनी रातें ही नहीं अपितु दुख रूपी अमावस्या भी आती है। 

(ख) कवि ने यथार्थ पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यथार्थ ही जीवन की वास्तविकता है, इसका सामना हर किसी को करना पड़ता है। भविष्य को सुंदर बनाने के लिए वर्तमान में परिश्रम करना पड़ता है। 

(ग) मृगतृष्णा का शाब्दिक अर्थ है-धोखा या भ्रम रेगिस्तान में रेत के टीलों पर चिलचिलाती धूप को पानी समझकर हिरण प्यास बुझाने दौड़ता है। इसी को मृगतृष्णा कहते हैं। इसका प्रतीकात्मक अर्थ भ्रमक चीजों से है जो सुख का भ्रम पैदा करती है। जो न होकर भी होने का आभास कराती है वही मृगतृष्णा है। 

 

प्रश्न 10.  निम्नलिखित में से किन्हीं चीर प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : 

(क) ‘उत्साह’ कविता में कवि बादल से क्या अनुरोध करता है?

(ख) भाव स्पष्ट कीजिए :“छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?”

(ग) “छाया मत छूना मन’ में ‘छाया’ किसका प्रतीक है? उसे छूने को मना क्यों किया गया है?

(घ) ‘कन्यादान’ कविता का संदेश संक्षेप में लिखिए।

(ङ) मॅजे हुए प्रतिष्ठित संगीतकार को भी अच्छे संगतकार की आवश्यकता क्यों होती है?

उत्तर: (क) उत्साह कविता में कवि बादल से अनुरोध करता है। कि हे बादलो तुम गगन को चारों ओर से घेर लो, घोर अंधकार कर लो और क्रांति करो। अनंत दिशा से आकर घरघोर गर्जना करके बरसों और तपती हुई धरा को शीतल कर दो। क्रांति के द्वारा परिवर्तन ले आओ। 

(ख) कवि अपने शिशु की दंतुरित मुस्कान को देखकर कहता है कि तुम्हारे नए दाँतों के मुस्कान में एक आकर्षण है। जैसे ही मैंने तुम्हें छुआ ऐसे लगा कि शेफालिका के सफेद फूल झड़ रहे हैं। तुम्हारी मुस्कान देखकर बांस और बबूल में भी शेफालिका के जैसे फूल खिलने लगेंगे।

(ग) छाया मत छूना अतीत की स्मृतियों की प्रतीक है। कवि अतीत को याद करने से मना करता है क्योंकि अतीत को याद करके वर्तमान का दुःख दुगुना हो जाता है। हम आज के सुख को भी खो देते हैं। अतः हमें अतीत को भूल जाना चाहिए और वर्तमान में जीना चाहिए और आने वाले समय को सुखी बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।

(घ) कन्यादान कविता का सन्देश यह है कि हमारे समाज में स्त्रियों के लिए कुछ प्रतिमान स्थापित कर दिए जाते हैं। समाज उनको कमजोर समझता है और अत्याचार करता है। अपने संचित अनुभव के आधार पर माँ कन्यादान के समय अपनी बेटी को शिक्षित कर रही है। ताकि समाज में वह एक उच्च सुखी जीवन जी सके और समाज की मानसिकता से वह परिचित हो सके। विवाह पश्चात् लड़की परिवार की केन्द्र बिन्दु होती है। अतः लड़की को उसके कर्तव्यों से परिचित करा रहा।

(ङ) जब कभी मँजा हुआ संगीतकार अपने सुरों के जंगल में भटक जाता है अनहद में चला जाता है तब संगतकार ही उसके सुरों को सँभालने का कार्य करता है। संगीतकार ही मुख्य संगीतकार या गायक का अस्तित्व बचाता है और स्वयं हमेशा मुख्य गायक के पीछे रहता।

 

प्रश्न 11.  ‘माता का अंचल’ पाठ की दो बातों का उल्लेख कीजिए जो आपको अच्छी लगी हों। इनसे आपको क्या प्रेरणा मिली? 

अथवा

प्रश्न 11. ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:‘माता का अंचल’ पाठ ग्रामीण संस्कृति के बच्चों के बचपन की एक जीवंत झलक है। इस पाठ में बच्चों के स्वच्छंद बचपन का वर्णन है कि किस प्रकार वे अपने हमजोलियों के बीच मिट्टी में ही बिना खेल खिलौनों के अपना जीवन बिताते हैं। पिताजी का भोलेनाथ के हर खेल में शामिल होना हर खेल पर अपनी बच्चों सी टिप्पणी देना बहुत अच्छा लगा। जब चूहे के बिल में से सांप निकल आया और दशहत में आकर संकट के समय भोलेनाथ का माँ के आँचल में जाकर छुप जाना बहुत अच्छा लगा। इस पाठ में गुदगुदाने वाले प्रसंग भी अनेक हैं। पिता का इस प्रकार बच्चा बन जाना बहुत सुखद अनुभव है जो सभी पाठकों को गुदगुदा देता है।

अथवा

उत्तर:‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ एक सटीक व्यंग्य है हमारे शाही तंत्र की गुलामी की मानसिकता पर जब रानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत दौरे पर आ रही थी तो बड़े-बड़े हुक्कामों ने दिल्ली का काया पलट कर दिया। वे भूल चुके हैं कि इसी महारानी के देश ने ही उन्हें कभी गुलाम बनाया था। इस निबंध में सरकारी कार्यप्रणाली पर भी व्यंग्य है। नाजनीनों की तरह दिल्ली को सजाया संवारा गया । जॉर्ज पंचम की मूर्ति से गायब नाक के लिए मूर्तिकार को नाक लगाने का आदेश दे दिया गया। मूर्तिकार हिंदुस्तान के कोने कोने में गया किन्तु मूर्ति की नाप की नाक ढूँढने में असफल रहा। 

अंत में जिंदा नाक लगाकर कार्य पूरा किया गया। यह एक जीता जागता उदाहरण है हमारे शाही तंत्र की मानसिकता पर कि किस प्रकार अपनी नाक बचाने के लिए जनता की नाक तक काट देते हैं।

 

खण्ड ‘घ’ 

प्रश्न 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए 

(क) कमरतोड़ महँगाई 

  • महँगाई के कारण 
  • समाज पर प्रभाव 
  • व्यावहारिक समाधान 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

  • विकास में स्वच्छता का योगदान 
  • अस्वच्छता से हानिया 
  • रोकने के उपाय 

(ग) बदलती जीवन शैल 

  • जीवन शैली का आशय 
  • बदलाव कैसा 
  • परिणाम 

उत्तर: निबंध 

कमरतोड़ महँगाई महँगाई का अर्थ होता है वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना। इस महँगाई पर ही पूरे देश की अर्थव्यवस्था टिकी होती है। मॅहगाई मनुष्य के जीवन शैली को प्रभावित करती है। आप समाज की यह प्रमुख समस्या है जिसने उच्च, मध्यम व निम्न सभी वर्गों की कमर तोड़ रखी 

महँगाई की समस्या न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की गंभीर समस्या बन गई है। इस समस्या के कारण बहुत से देशों का आर्थिक स्तर घटता है। हमारा देश, भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा बड़ा देश है। पर उस तरह की पैदावार नहीं हो पा रही है जिससे आए दिन सामानों के दाम बढ़ते हैं। आजादी के बाद भारत में तीन चीजें हमेशा बढ़ती रही हैं भ्रष्टाचार, असमानता और महँगाई। ये तीनों सगी बहनें हैं। ये एक साथ बढ़ती हैं। भ्रष्टाचार बढ़ता है तो धनवान और धनी होते जाते हैं और गरीब बिल्कुल लगोंटी यारी हो जाते हैं। काले धन के कारण कालाबाजारी बढ़ती है। उससे मँहगाई बढ़ती है। 

हमारे देश के अमीर लोग इस मॅहगाई के सबसे अधिक जिम्मेदार होते हैं। आपात काल के शुरू-शुरू में वस्तुओं की कीमत कम रखने की परंपरा चली लेकिन व्यापरी अपनी मनमानी करते हैं, सामान्य जनता पर महँगाई का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। उसके पास सीमित पूँजी होती है और उसकी खरीदने की शक्ति कमजोर हो जाती है। अफसरशाही नेता, व्यापारी ये सभी मँहगाई को बढ़ाने के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार हैं। इससे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। 

यदि सरकार मुद्रास्फीति पर रोक लगाए तो शायद महँगाई पर कुछ तो लगाम लग सकेगी। सरकार को अधिक पैमाने पर गांवों का विकास कर उन्हें जागरूक करना चाहिए जिससे वे आधुनिक संसाधनों का प्रयोग करे और पैदावार बढ़ाए। 

हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में नहीं किया जाएगा मॅहगाई वश में नहीं आयेगी। महँगाई को वश में करने के लिए उचित राष्ट्र नीति जरूरी है। मॅहगाई को रोकने के लिए लोगों को अपनी जमाखोरी की प्रवृत्ति छोड़नी होगी। उपभोक्ता को भी उतनी ही वस्तुएं खरीदनी चाहिए जितनी कि उसे आवश्यकता हो । दोबारा जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता को तभी सामान लेना चाहिए। इस तरह से महँगाई पर काबू रखा जा सकता है। 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

एक कदम स्वच्छता की ओर स्वच्छता आज केवल घर या मुहल्ले तक नहीं बल्कि इसका दायरा काफी बड़ा बन गया है। देश और राष्ट्र की स्वच्छता से ही वास्तविक विकास हो सकता है। जिस देश का नागरिक स्वच्छता के प्रति सजग होगा उस देश का विकास अबाध गति से होगा। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने देश की स्वच्छता में अपना सहयोग दें। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है जिसमें यह प्रण लिया गया है कि प्रत्येक गली, मुहल्ला, सड़कों से लेकर शौचालय का निर्माण कराना और बुनियादी ढांचे को बदलना एवं स्वच्छता का संदेश फैलाना। 

अस्वच्छता से विभिन्न प्रकार की हनियाँ हैं। स्वच्छ वातावरण से पर्यावरण का विकास संभव है। हम सभी जानते हैं कि हमारा वातावरण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से ग्रस्त है पर इससे कुछ अंशों में युक्त। का एकमात्र साधन स्वच्छता है। जिस तरह का स्वच्छ परिवेश से वातावरण में कोई रोग-बीमारी का खतरा नहीं होगा। पहले गांवों में लोग खुले में शौच जाते थे पर इस अभियान द्वारा जनता जागरूक हो गई एवं उन्हें शौचालय का महत्व समझ में आया है। सड़कों, गलियों को स्वच्छ रखना जिससे वहाँ रहने वाले लोग स्वस्थ रहेंगे। 

हमारे पूज्यनीय गांधी जी स्वच्छता के प्रति अत्यंत जागरूक थे उन्हीं के सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को इस आंदोलन से जोड़ने की मुहिम चलाई है। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हमारे अभिनेता-अभिनेत्री सब स्कूल, कॉलेजों वे सरकारी कार्यालयों ने अहम भूमिका निभाई है। अब वह समय दूर नहीं जब हम गांधी जी के सपने को साकार कर पाएंगे। 

इसलिए हमें ‘स्वच्छ भारत अभियान में बढ़चद कर हिस्सा लेना चाहिए और कुछ नहीं तो हमें कम से कम रोज हमारी गली को साफ करना चाहिए। शिक्षा के प्रसार प्रचार को बढ़ावा देकर जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान में आप भी भागीदार बने लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाएं। 

(ग) बदलती जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली एक अच्छे जीवन की नींव है। हालांकि इस जीवन शैली को हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती बल्कि कई लोग व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं दृढ़ संकल्प की कमी और अन्य कारणों द्वारा इसका पालन नहीं कर पाते स्वस्थ रहने के लिए किस प्रकार की शैली अपनाना है यह जानना ज्यादा जरूरी हैं। 

आजकल की पीढ़ी कम्यूटर मोबाइल, बर्गर, पिज्जा और देर रात की पार्टियों पर आधारित है-मूल रूप से ये सब अस्वास्थ्यकर है। पेशेवर प्रतिबद्धताओं और व्यक्तिगत मुद्दों ने सभी को जकड़ लिया है। और इन सभी आवश्यकताओं के बीच वे अपना स्वास्थ्य खो रहे हैं। इन दिनों लोग अपने दैनिक जीवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे भूल गए हैं कि एक स्वस्थ जीवन जीने के क्या मायने हैं। हम स्वस्थकर आदतें अपनाकर अपनी जीवन शैली में सुधारा जा सकता है यदि हम प्रातः भ्रमण, योगा व मेडिटेशन का जीवन में समावेश करें तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा हो पाएगा। शरीर में अनेक शक्तियाँ निहित हैं, यदि हम उन शक्तियों को पहचान लेंगे तो हम निरोग रहेंगे। 

 

प्रश्न 13. ‘पड़ोस में आग लगने की दुर्घटना की खबर तुरंत दिए जाने पर भी दमकल अधिकारी और पुलिस देर से पहुँचे जिससे आग ने भीषण रूप ले लिया। इसके बारे में विवरण सहित एक शिकायती पत्र अपने जिला अधिकारी को लिखिए। 

अथवा

प्रश्न 13. पढ़ाई छोड़कर घर बैठे छोटे भाई को समझाते हुए पत्र लिखिए कि पढ़ना क्यों आवश्यक है। पत्र ऐसा हो कि उसमें नई उमंग का संचार हो सके।

उत्तर:

परीक्षा भवन,

क, ख, ग, आगरा।

दिनांक 25 मार्च 20XX

सेवा में,

          जिलाधिकारी,

          अ, ब, स

         आगरा  ।

विषय – दमकल अधिकारी और पुलिस की लापरवाही की शिकायत हेतु पत्र।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं च. छ. ज. क्षेत्र का निवासी इस पत्र के माध्यम से आपको दमकल विभाग और पुलिस की लापरवाही की शिकायत करना चाहता हूँ। कल मेरे पड़ोसी के यहाँ अचानक आग लग गयी, जिस कारण पड़ौसियों का घर पूरी तरह से जल कर स्वाहा हो गया।

आग लगने की घटना की जानकारी तुरंत दमकल विभाग को दी गयी परन्तु कई घण्टे तक भी दमकल की कोई गाड़ी नहीं आयी और न ही पुलिस ने आकर घटना की जानकारी ली। इतनी देर में आग की लपटें दूसरे पड़ौसियों के घर तक आकर भी फैल गयी।

दमकल विभाग के कर्मचारी समय पर आते तो इतने बड़े नुकसान को बचाया जा सकता था। आपसे अनुरोध है कि दमकल विभाग और पुलिसकर्मियों के प्रति सख्त कार्यवाही करें जो सूचना देने के बाद भी घटनास्थल पर नहीं आए।

सधन्यवाद।

भवदीय

प. फ. ब.

अथवा

उत्तर:

परीक्षा भवन

क, ख, ग

आगरा

दिनांक 22.20.20XX

प्रिय अनुज,

शुभाशीष। इस पत्र के द्वारा मैं तुम्हें पढ़ाई का महत्व समझाना चाहता हूँ मुझे मालूम हुआ है कि तुम पढ़ाई छोड़कर घर पर बैठे हो और विद्यालय भी नहीं जा रहे हो। यदि तुम विद्यालय नहीं जाओगे तो घर पर बैठकर तुम्हारा अर्जित ज्ञान भी धूमिल हो जाएगा और खाली दिमाग शैतान का घर होता है। बिना पढ़ाई के जीवन व्यर्थ है तुम अपना भविष्य बिना पढ़ाई के कैसे बना सकते हो। यदि तुम पढ़ोगे तो आगे चलकर अपने पैरों पर खड़े हो सकते हो और आत्मसम्मान आत्मविश्वास प्राप्त करोगे और जो चाहो जीवन में हासिल कर पाओगे।

आशा है कि तुम मेरी बात समझ गए होंगे और कल से नियमित रूप से विद्यालय जाओगे तथा परिश्रम करोगे। घर में माता पिताजी को मेरा दंडवत् प्रणाम देना और छोटी बहन को प्यार। 

तुम्हारा अग्रज, 

च.छ.ज.

 

प्रश्न 14. अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

अथवा 

प्रश्न 14. बॉल पेनों की एक कंपनी सफल’ नाम से बाजार में आई है। उसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

उत्तर: दान एक पुण्य 

आइए पुण्य कमाइए 

रोटरी क्लब की ओर से केरल के बाढ़पीड़ितों के लिए सहायता आपकी सहायता किसी की जिंदगी को सुरक्षित कर सकती है। तो देर किस बात की गाँधी मैदान में आकर अपना सहयोग दें. 

(सहयोग राशि कुछ भी हो सकती है) शिविर 7,8,9 अप्रैल 2019 तक ही। 

अन्य जानकारी हेतु संपर्क करें 8979645321, 011-254639 

रोटरी क्लब ऑफिस गाँधी मैदान, 

जनकपुरी नई दिल्ली। 

अथवा

उत्तर:

 

Leave a Reply

×

Hello!

Click one of our representatives below to chat on WhatsApp or send us an email to info@vidhyarthidarpan.com

×